मेड़ता शहर के पंचायत समिति मेला मैदान में रविवार को अभिनव राजस्थान पार्टी की प्रदेश स्तरीय जनसभा आयोजित हुई जिसमें प्रदेशभर से बसों व गाड़ियों के जरिए लोग जन सभा में पहुंचे। अभिनव राजस्थान पार्टी कार्यकर्ताओं ने शक्ति प्रदर्शन किया। प्रदेशाध्यक्ष डॉ. अशोक चौधरी ने कहा कि जिस दिन आम आदमी को उनकी सुविधाओं के बारे में पता चल जाएगा, उस दिन उनको लूटने वालों की दुकानें बंद हो जाएगी।

हम आपको मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी देने व आपके सभी कार्य पूरे कराने आए हैं। उन्होंने कहा कि 1961 में एक कानून बना था। जिसके अनुसार हर मंडी में अनाज की ढेरी बोली पर कंट्रोल के लिए एक सरकारी कार्मिक लगाया जाना था जिसकी जिम्मेदारी किसानों को उचित मूल्य दिलाना था, लेकिन कोई कर्मचारी नहीं लगाया गया। राज्य की सभी मंडियों में बोली लगाने वाले सरकारी कर्मचारियों के पद ही रिक्त है। ऐसे में यदि इस पद को भर दिया जाए तो सरकारी आदमी ही बोली लगाएगा। सरकारी कर्मचारी के बोली लगाने का अलग ही नियम है।

और सीधे ही ढेरियों के भाव नहीं लगाएगा। क्योंकि नियम के मुताबिक मंडियों में बिना ग्रेडिंग और बिना क्वालिटी की जांच किए अनाज का भाव ही नहीं लगा सकते, लेकिन वर्तमान में मंडियों में तो सीधे हाथ में अनाज लेकर बोली लगाई जा रही है। ऐसे में किसान को जो भाव मिल रहा है। उस भाव की कीमत लेकर घर चला जाता है।

किसानों का पैसा पहुंच रहा है सीधा जयपुर
प्रदेशाध्यक्ष डॉ. अशोक चौधरी ने कहा कि कृषि मंडियों की इनकम का 75 प्रतिशत हिस्सा पहले गांवों-किसानों की सुविधाओं पर खर्च होता था, लेकिन वर्तमान में यह बजट सीधा जयपुर मंगवा लिया जाता है। इससे ग्रामीण क्षेत्र का विकास नहीं हो पा रहा है। इस मौके पर कृषि बीमा, गौ वंश के लिए गोचर जमीन उपलब्ध कराने और उसे मनरेगा से जोड़ने सहित 23 तरह के काम अगले 6 महीने में कराने की हजारों लोगों के साथ शपथ ली गई। वहीं आमजन को अपने अधिकारों के प्रति जागरुक होने का संदेश दिया।

अरब कंट्रियों में महंगी बिकती है ग्वार
चौधरी ने कहा कि आम आदमी, मजदूर, किसान को लूटा जा रहा है। यहां मंडियों में ग्वार 5 से 6 हजार रुपए प्रति क्विंटल बिक रही है। किसान भावों के इंतजार में बैठा रहता है। जबकि यह ग्वार अरब कंद्रियों सहित अन्य देशों में लाख रुपए प्रति क्विंटल तक बिकती है। क्योंकि तेल निकालने में ग्वार के पाउडर का उपयोग किया जाता है। ऐसे में वहां ग्वार की डिमांड अधिक होती है। ऐसे में किसानों को लूटा जा रहा है। उन्हें जिंस का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है।
