स्वयं के अंदर आत्मा का अनुभव संभव श्री सिद्धेश्वर ब्रह्मर्षि गुरुदेव 

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बेंगलूरु. ब्रह्मर्षि आश्रम, तिरुपति के संस्थापक सिद्धेश्वर ब्रह्मर्षि ने रविवार को बेंगलूरु में पैलेस ग्राउंड के रॉयल सेनेट सभागार में आयोजित धर्मसभा में समाधि का अर्थ बताते हुए कहा कि समाधि अर्थात आत्म अनुभव। आत्मा के बारे में ज्ञान तो बाहर से भी ग्रहण कर सकते हैं परंतु आत्मा का अनुभव स्वयं के अंदर उतरकर ही प्राप्त किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि हम अपने जीवन में जानें कि यह जीवन क्या है, यह आत्मा क्या है, जीवन का उद्देश्य क्या है, मृत्यु के परे क्या है, इस अनुभव का नाम ही समाधि है। जब हम अपनी आत्मा को शरीर से अलग कर विभिन्न ग्रहों पर यात्रा करते हैं तो सिद्धियों को सिद्ध करते हैं।

ब्रह्मर्षि ने कहा कि मैं प्रार्थना करूंगा कि आप सबके जीवन में कभी न कभी एक बार समाधि का अनुभव जरूर हो। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं में कल्याणकारी मंगलमय प्रार्थनाओं के द्वारा अपनी साधना शक्ति की सम्पूर्ण ऊर्जा का संचार किया। ब्रह्मर्षि ने 70 दिन की महासाधना के पश्चात रविवार को बेंगलूरु में दिव्य दर्शन एवं महाआशीर्वाद दिया। जब उन्होंने हॉल में प्रवेश किया तो भक्तों में उनके दर्शन के लिए होड़ सी मच गई। जय गुरुदेव के नारों से हॉल गुंजायमान हो गया।

मीनल निगम के भक्ति संगीत पर श्रद्धालुओं ने श्रद्धा के गोते लगाए। मीनल निगम एवं मंच संचालक मयंक सोलंकी ने कहा कि जब गुरुदेव अमृत बरसाएं तो हमारा पात्र सीधा रहे और उनकी पूरी कृपा, आशीर्वाद एवं दृष्टि को हम आत्मसात कर सकें। हम सब स्वयं को इतना पवित्र बनाएं कि उनकी ऊर्जा हमारे अन्दर प्रवेश कर सकें। भक्तों ने सिद्धेश्वर ब्रह्मर्र्षि का माल्यार्पण कर अभिनंदन किया। बेंगलूरु के अध्यक्ष अतुल सुरेका ने आभार जताया।

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Author: mahatvapoorna

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