अयोध्या: लोकसभा चुनाव के बाद संसद के पहले सत्र का सोमवार को पहला दिन था। नई संसद में सपा मुखिया अखिलेश यादव ने सोमवार को जब बतौर सांसद प्रवेश किया तो हर किसी की नजरें उन पर टिक गईं। अखिलेश के एक हाथ में संविधान की पुस्तक थी। दूसरे हाथ से उन्होंने अयोध्या से अपने नए नवेले सांसद अवधेश प्रसाद का हाथ कसकर पकड़ा हुआ था। सीढ़ियां चढ़कर वह अवधेश प्रसाद को अपने साथ अंदर सदन में ले गए। इस दौरान अयोध्या सांसद ने झुककर संसद की सीढ़ियों को प्रणाम किया। अंदर सदन में अखिलेश यादव कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ विपक्ष की पहली पंक्ति में बैठे। खास बात यह रही कि यूपी विधानसभा की तरह यहां भी अवधेश प्रसाद अखिलेश के बगल में ही बैठे नजर आए। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अवधेश प्रसाद को इतना महत्व देकर अखिलेश प्रसाद ने बड़ा सियासी संदेश दिया है। कहीं न कहीं अयोध्या में बीजेपी की हुई किरकिरी को उन्होंने भुनाने की कोशिश की है।
संसद में प्रवेश के मौके पर अखिलेश अपनी पार्टी के सभी सांसदों के साथ मीडिया के सामने पहुंचे। उनके बगल में पत्नी डिंपल यादव और चाचा रामगोपाल यादव भी मौजूद थे। इस बीच अखिलेश ने पीछे खड़े अवधेश प्रसाद का हाथ पकड़ा और उन्हें सामने लेकर आए। उन्होंने सबसे परिचय कराया तो अवधेश प्रसाद ने हाथ जोड़कर अभिवादन किया। दलित समाज से आने वाले अवधेश प्रसाद को अखिलेश यादव लगातार तवज्जो देते रहे हैं। यूपी विधानसभा में भी वह अखिलेश के बगल में बैठते रहे हैं। लोकसभा चुनाव से पहले सपा ने पीडीए की जो पॉलिटिक्स शुरू की, अवधेश प्रसाद उसका बड़ा चेहरा है। पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यकों को तरजीह देकर अखिलेश यादव ने 37 सीटों पर कब्जा जमा लिया है।

अयोध्या की हार पर बीजेपी की हुई किरकिरी
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सबसे ज्यादा झटका उत्तर प्रदेश से ही लगा है। बीजेपी यहां मात्र 33 सीटों पर सिमट गई। जिस अयोध्या में ऐतिहासिक राम मंदिर से लेकर अरबों रुपये के विकास कार्य करवाए गए, वहां भी बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। 9 बार से सपा विधायक चुनते आ रहे अवधेश प्रसाद ने बीजेपी से दो बार सांसद चुनते आ रहे लल्लू सिंह को हरा दिया। इस हार की वजह से बीजेपी को देश और विदेश में किरकिरी का सामना करना पड़ा।
नतीजे से पहले ही अवधेश को बना चुके थे अयोध्या का सांसद
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान अखिलेश यादव ने अयोध्या की जनसभा में गलती से अवधेश प्रसाद को पूर्व विधायक बता दिया था। अवधेश उस समय बीकापुर के सपा विधायक थे तो उन्होंने तत्काल सपा प्रमुख को उनकी गलती का एहसास दिलाया। इस पर अखिलेश ने बात संभालते हुए कहा कि आपको पूर्व विधायक इसलिए कह रहा हूं क्योंकि आप अयोध्या के नए सांसद बनने जा रहे हो। उस समय कौन जानता था कि अखिलेश की भविष्यवाणी सच हो जागी। लोकसभा चुनाव के जब नतीजे आए तो अवधेश प्रसाद अयोध्या के नए सांसद बन चुके थे।
क्यों अयोध्या की जीत अखिलेश को दे रही हौसला
बता दें कि 1989 से अब तक भाजपा के एजेंडे में अयोध्या और राम मंदिर सबसे ऊपर रहे हैं। 500 सालों के बाद अयोध्या में राम मंदिर बनने को भाजपा अपनी चुनावी संभावनाओं से जोड़कर देख रही थी। लेकिन नतीजा आया तो उसे 2019 के मुकाबले यूपी में 29 सीटें कम मिलीं। इसके अलावा फैजाबाद लोकसभा सीट से भी हार गई। ऐसे में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी यूपी के नतीजों को अपने लिए बड़ी सफलता मान रही है। 37 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करके समाजवादी पार्टी सदन का तीसरा सबसे बड़ा दल बन गई है।