दोस्तों, अभिनव राजस्थान में हमारी एक प्यारी सी योजना है । हम बछड़ों (बैलों) से बिजली उत्पादन करना चाहते हैं । हर गाँव में बिजली बनाने के प्लांट लगेंगे जो बहुत ही सस्ती बिजली बनाएँगे । वर्तमान में राजस्थान को यह बिजली तीन रुपये यूनिट पड़ती है जबकि हमारी योजना में यह लगभग फ्री में बन जाएगी ।
हमारे प्लांट में बैल छः घंटे आर्मेचर को घुमायेंगे, पुरानी घाणी की तरह और उससे जुड़े यंत्रों से बिजली बनेगी । एक बैल पर सौ दो सौ रूपये का खर्च होगा और वह इतने रुपये की बिजली बना देगा । गाँव की लगभग सारी ज़रूरतें इससे पूरी हो जायेंगी । गाँव के पानी की सप्लाई, गेहूं बाजरा पिसाई, चारा कटाई आदि काम इसी प्लांट से हो जाएँगे । Multipurpose ! एक गाँव में कई बैलों को जोड़कर इस बड़े प्लांट में घुमाया जाएगा ।
हमारे पास इसका पक्का प्लान है । हमने इस पर खूब जानकारी जुटाई है पार राज के भूखे वर्तमान लोगों को न सुनने का टाइम है, न जानने का । अगर वो ईमानदारी से आज जानना चाहें तो हम उनको यह प्लान गिफ्ट कर सकते हैं !
हमारे इस प्लान को धरातल पर उतारने के लिए हम हमारी इंजीनियरिंग कॉलेजों के मेकेनिकल विभाग, लोहारों और सुथारों का ग्रुप बनाएँगे और सरकारी पैसा लगायेंगे । मनरेगा से खर्च की व्यवस्था हो जाएगी ।
आप यह मत सोचना कि हम पीछे जा रहे हैं । ना ना । यह तो आगे जाने का रास्ता है । पीछे तो हम अभी जा रहे हैं । मार्केट में ठगे जा रहे हैं । हमारे संसाधन बर्बाद हो रहे हैं, बेरोज़गारी बढ़ रही है और हम हिम्मत हार रहे हैं । विज्ञान का मतलब मानव की मदद करना है, उसे बर्बाद नहीं करना है । वर्तमान में विज्ञान ग़लत हाथों में जाकर फ़ायदा कम और नुक़सान ज़्यादा कर रही है । सरकारों की नाकामी से ।
हमारा मॉडल बहुत आकर्षक, आधुनिक और फ़ायदे का होगा । बिजली उत्पादन की अपनी इस व्यवस्था से एक तीर से कई निशाने लगेंगे । बछड़े उपयोगी हो जाएँगे, महँगी बिजली से राहत होगी, गाँव में रोज़गार होगा, जैविक खेती बढ़ेगी, गौवंश बचेगा, गाय का पालन फ़ायदे का काम होगा । मांस के चक्कर में अभी बकरियाँ कितनी महँगी हुई है ? तो गाय अपने पुराने स्वरूप में फिर महँगी होगी, बिना मांस के कारोबार के ।
इसके साथ ही हम पेड़ों का उपयोग बढ़ायेंगे । अभी मूर्खता में पेड़ नहीं काटने का गेम चल रहा है । जबकि हम खूब पेड़ काटेंगे ! लेकिन जितने काटेंगे, उससे पाँच गुना ज्यादा नये पेड़ लगायेंगे । अभी जब सरकार से यह पेड़ लगाने वाला काम बैठ नहीं रहा है तो पेड़ काटने वाला रोककर बैठ गए हैं । निकम्मापन समाज और बाज़ार को बर्बाद कर रहा है, पर्यावरण को भी । हम तो लोहे और प्लास्टिक को कम करके लकड़ी की चीजों का उपयोग बढ़ाने में लगेंगे ।
पेड़ के उपयोग से धरती पुनर्जीवित होती रहती है । पेड़ को उगाने में क्या लगता है, एक बीज, कुछ पानी, जो बारिश देती है । जबकि अन्य उत्पादों को पैदा करने में धरती के अंश ख़त्म होते जाते हैं – लोह, कोयला, हवा । पर्यावरण ख़राब होता वह अलग ।
हम पहली बार इस धरती पर सतत विकास (sustainable development) को पुनः स्थापित करेंगे । बाक़ी यह अभी वाले तो ए सी में बैठकर मिनरल वाटर पीकर मज़े करते हैं । पूरी दुनिया की सरकारों का बुरा हाल है ।
दोस्तों, अभिनव राजस्थान में हम महात्मा गांधी के सपनों को जल्दी से जल्दी पूरा करेंगे क्योंकि तब सरकार लोक को समर्पित होगी, राज को नहीं ।
पधारो मेड़ता कल । 25 दिसम्बर को ।
जनता का राज बनाते हैं ।
सभी जीवों, पेड़ों और मानव की फिर से दोस्ती करवाते हैं ।
अभिनव अशोक
अभिनव राजस्थान पार्टी