भारत और मिस्र के बीच दशकों पुराने संबंधों को इस बार 26 जनवरी को नया आयाम मिलने वाला है. दोनों देशों के लिए ये दिन बेहद खास है। इस वक्त पूरी दुनिया में उथल-पुथल मची हुई है। कोरोना के बाद तो जैसे सबकुछ बदल गया है। चीन जैसा देश कोरोना से खुद को बचाने में लगा हुआ है। बाकी दुनिया भले ही आजाद घूम रही है। लेकिन कहीं भी शांति नहीं है। उदाहरण के लिए रूस-यूक्रेन युद्ध, भारत का चीन के साथ तनाव और चीन की अपनी ही सीमा से लगते तकरीबन सभी देशों के साथ विवाद। आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच जंग जारी है।
ईरान और पाकिस्तान महंगाई से दो-दो हाथ कर रहा है। तुर्की और स्वीडन आपस में उलझे हुए हैं। उत्तर कोरिया के तानाशाह का अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया को मिसाइलों से थर्राना भी जारी है। यानी पूरी दुनिया में कुछ न कुछ घटित हो रहा है। लेकिन तमाम परिस्थितियों के बीच जियो पॉलिटिक्स भी तेजी से करवट लेता नजर आ रहा है। भारत अपने गौरवशाली गणतंत्र के 74वां समारोह मना रहा है। इस वर्ष गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी भारत पहुंचे।
यह पहली बार है कि मिस्र के किसी राष्ट्रपति को इस आयोजन के लिए मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। विदेश मंत्रालय के अनुसार, पहली बार अरब गणराज्य मिस्र के राष्ट्रपति को भारत गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। गणतंत्र दिवस परेड में मिस्र की सेना का एक सैन्य दल भी भाग लेगा। भारत और मिस्र के बीच सिर्फ राजनायिक ही नहीं, बल्कि बड़ा व्यापारिक सहयोग भी है। मिस्र की आर्थिक स्थिति भी पाकिस्तान की तरह ही बदहाल है और भारत एक दोस्त की भूमिका अच्छे से निभा रहा है। भले ही मिस्र एक मुस्लिम देश है, लेकिन वो हमेशा से ही पाकिस्तानी नीतियों और आतंकवाद की खिलाफत करता रहा है।