होसूर. सीरवी समाज होसूर की ओर से निर्मित आईमाता के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा अखण्ड ज्योति स्थापना के तहत मंगलवार को आईमाता का भव्य वरघोड़ा निकाला गया। वरघोड़ा होसूर शहर के मुख्य मार्गों से होकर आईमाता मंदिर परिसर पहुंचा। लगभग 2 किलोमीटर लंबे वरघोड़े में सबसे आगे आईमाता का ध्वज शांति एवं एकता का परिचय दे रहा था। नवयुवक मंडल के सदस्य धर्म ध्वज के साथ आईमाता के जयकारे लगाते चल रहे थे। वरघोड़े में तमिलनाडु और राजस्थान की

संस्कृति का मेल भी दिखा। इसमें स्थानीय काटमारियम्मा माता की झांकी के आगे ढोल नृत्य करते तमिलनाडु के ढोल वादकों ने भाग लिया। शोभायात्रा जहां जहां से गुजरी लोगों ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। शोभायात्रा में होसूर सहित बेंगलूरु के अनेक क्षेत्रों के नवयुवक मंडलों, महिला मंडलों ने भाग लिया। सिर पर कलश धारण कर मंगल गान करते महिलाएं चल रही थी। आईमाता के जीवन चरित्र का वर्णन करती झांकियां भी सजाई गई। श्रद्धालुओं ने आईमाता के बेल रथ के दर्शन किए।

वरघोड़े में रथ में सवार धर्मगुरु दीवान माधव सिंह सभी का अभिवादन कर रहे थे। वरघोड़े के पीछे स्वच्छ भारत अभियान के तहत कचरा बीनने का कार्य भी हुआ। नवयुवक मंडल के सदस्यों ने अपशिष्ट मुक्त वरघोड़े का संचालन लिया। वरघोड़े के बाद दीवान माधव सिंह ने मंदिर का अवलोकन किया। अध्यक्ष त्रिलोकचंद परिहारिया व सचिव तुलसाराम चावण्डिया ने धर्मगुरु को मंदिर की रुपरेखा की जानकारी दी। इस दौरान धर्मगुरु ने मुख्य यजमान तुलसाराम चावण्डिया एवं अन्य कार्यकारिणी सदस्यों के साथ हवन में आहुतियां दी। वरघोड़े में अनेक गैर मंडलों ने भाग लिया। रंग-बिरंगी छतरियां एवं कलर पेपर से सुजज्जित डांडियों के साथ गैर नृत्य कर रहे सदस्य सभी के आकर्षक का केन्द्र रहे। चंग की थाप पर फाल्गुन गाते गैर मंडल के घेरे में चल रहे सदस्यों ने माता के गुणों का बखान किया।

प्राण प्रतिष्ठा आज
बुधवार को शुभ मुहूर्त में दीवान माधव सिंह के सान्निध्य में आईमाता मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा और हवन पूर्णाहुति होगी। प्रतिष्ठा के पश्चात्धर्मगुरु दीवान माधवसिंह का आशीवर्चन का कार्यक्रम होगा।
पूर्वजों के बताए मार्ग पर चलें : दीवान

वरघोड़ा विभिन्न मार्गों से होता हुआ केलमंगमल रोड पर निर्मित अस्थाई आईमाता नगरी परिसर में पहुंचकर धर्मसभा में परिवर्तित हो गई। जहां अनेक वक्ताओं ने समाज में शिक्षा एवं समाज की कुरितियों को मिटाने का आह्वान किया। वक्ताओं ने आईमाता के मंदिर एवं भवन निर्माण की सराहना करते की। धर्मगुरु दीवान माधव सिंह ने कहा कि पूर्वजों के

पुण्य प्रताप से समाज ने उत्तरोत्तर प्रगति की। आईमाता के प्रति अटूट आस्था का ही कारण है कि आज समाज विशालता का रुप ले रहा है। दीवान ने कहा कि धर्म के कार्यों में अपने बच्चों को भी जोड़ना चाहिए जिससे उनमें धर्म के संस्कार पनपें क्योकि आने वाली पीढ़ी ही समाज की कर्णधार है। अध्यक्ष तिलोकचंद परिहारिया, सचिव तुलसाराम चावण्डिया, उपाध्यक्ष थानाराम गहलोत, कोषाध्यक्ष भंवरलाल सेपटा, सह सचिव हुकाराम सोलंकी, सह कोषाध्यक्ष केसाराम चोयल आदि ने दीवान माधव सिंह का सम्मान किया। शाम में भजन संध्या में गायकों आईमाता एवं अन्य देवी-देवताओं के भजनों की प्रस्तुतियां दी। गायक छोटू सिंह रावणा, हेमराज गोयल, सरिता खारवाल आदि ने भजनों के माध्यम से समा बांधा।
