अमेरिका ने भारत से भेजे गए आम के 15 शिपमेंट लौटाए, करोड़ों का नुकसान

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America returned 15 shipments of mangoes sent from India, loss of crores
America returned 15 shipments of mangoes sent from India, loss of crores

लॉस एंजेल्स, सैन फ्रांसिस्को और अटलांटा एयरपोर्ट पर शिपमेंट खारिज

नई दिल्ली। अमेरिकी कस्टम ऑफिसर ने हाल ही में लॉस एंजेल्स, सैन फ्रांसिस्को और अटलांटा समेत कई एयरपोर्ट पर भारत से आए कम से कम 15 आम के शिपमेंट को दस्तावेज़ों में गड़बड़ी के कारण खारिज कर दिया। इस फैसले से न केवल भारतीय एक्सपोर्ट्स को लगभग $500,000 (लगभग 4.2 करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ, बल्कि यह मामला भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों पर भी सवाल खड़े कर रहा है।

दस्तावेज़ों की गड़बड़ी बनी कारण

हाल ही में अमेरिका के विभिन्न हवाई अड्डों — जैसे लॉस एंजेल्स, सैन फ्रांसिस्को और अटलांटा — पर भारत से भेजे गए आम के कम से कम 15 शिपमेंट को अमेरिकी कस्टम अधिकारियों ने रोक दिया। कारण बताया गया कि इन शिपमेंट के दस्तावेजों, विशेष रूप से PPQ203 फॉर्म, में गड़बड़ी पाई गई। इस वजह से अमेरिका ने शिपमेंट को अस्वीकार कर दिया। इससे भारतीय निर्यातकों को लगभग $500,000 (करीब 4.2 करोड़ रुपये) का भारी नुकसान हुआ है। यह मुद्दा अब भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों पर भी सवाल उठा रहा है।

क्या है PPQ203 फॉर्म?

PPQ203 एक जरूरी दस्तावेज़ है जो यह प्रमाणित करता है कि फल, खासकर आम, ने अमेरिका के नियमानुसार कीट नियंत्रण विकिरण उपचार (Irradiation Treatment) प्राप्त किया है। यह प्रक्रिया भारत में, खासकर नवी मुंबई की एक अधिकृत सुविधा में अमेरिकी USDA अधिकारियों की निगरानी में होती है। भारतीय निर्यातकों का कहना है कि उपचार की पूरी प्रक्रिया ठीक से की गई थी और बिना सही दस्तावेज़ के माल हवाई अड्डे पर भेजा ही नहीं जा सकता। इसके बावजूद अमेरिकी अधिकारियों ने दस्तावेजों में त्रुटियां बताकर शिपमेंट को रोक दिया और फलों को स्वीकार नहीं किया।

निर्यातकों के सामने दो मुश्किल विकल्प

अमेरिकी अधिकारियों ने निर्यातकों को दो विकल्प दिए: या तो आम को अमेरिका में ही नष्ट कर दिया जाए, या उसे भारत वापस भेजा जाए।

    लेकिन आम एक जल्दी खराब होने वाला फल है और उसे वापस भेजना महंगा और अव्यवहारिक होता है। इस कारण सभी निर्यातकों को मजबूरी में फल को वहीं नष्ट करना पड़ा। एक निर्यातक ने दुख जताते हुए कहा, “हमें उस गलती की सजा दी जा रही है जो हमने की ही नहीं।”

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