Home दिल्ली अरावली पहाड़ियों में नए खनन पर केंद्र का बड़ा फैसला

अरावली पहाड़ियों में नए खनन पर केंद्र का बड़ा फैसला

0
1
अरावली पहाड़ियों का दृश्य और खनन प्रतिबंध से जुड़ा प्रतीकात्मक चित्र
अरावली पहाड़ियों का दृश्य और खनन प्रतिबंध से जुड़ा प्रतीकात्मक चित्र

नई दिल्ली। अरावली पहाड़ियों को लेकर केंद्र सरकार ने बुधवार को बड़ा फैसला लिया है। केंद्र ने राज्यों को अरावली में नए खनन पट्टे देने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया है। सरकार का कहना है कि वह अरावली की पहाड़ियों के संरक्षण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और जैव विविधता के संरक्षण में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देती है। अरावली रेंज दिल्ली से गुजरात तक फैली हुई है, जिसको लेकर पिछले कुछ दिनों से विवाद चल रहा था। सोशल मीडिया पर भी लोग अरावली को लेकर सरकार का विरोध कर रहे थे।

अब अवैध खनन से बचाने के लिए बड़ा कदम उठाते हुए केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने राज्यों को अरावली में किसी भी तरह की नई माइनिंग पर पूरी तरह से रोक लगाने के आदेश दिए हैं।

पूरी अरावली रेंज में समान रूप से लागू होगी रोक

पर्यावरण मंत्रालय ने कहा, “यह रोक पूरी अरावली रेंज पर समान रूप से लागू होगी और इसका मकसद इस रेंज की अखंडता को बनाए रखना है। इन निर्देशों का उद्देश्य अरावली को गुजरात से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र तक फैली एक लगातार भूवैज्ञानिक पहाड़ी के रूप में सुरक्षित रखना और सभी अनियमित माइनिंग गतिविधियों को रोकना है।”

इसके अलावा, मंत्रालय ने इंडियन काउंसिल ऑफ फॉरेस्ट्री रिसर्च एंड एजुकेशन (ICFRE) को पूरे अरावली क्षेत्र में ऐसे और इलाकों या जोन की पहचान करने का निर्देश दिया है, जहां खनन पर रोक लगाई जानी चाहिए। ये इलाके केंद्र द्वारा पहले से प्रतिबंधित खनन क्षेत्रों के अलावा होंगे और इनकी पहचान पारिस्थितिक, भूवैज्ञानिक और लैंडस्केप-स्तर के आधार पर की जाएगी।

चल रही खदानों पर सख्त निगरानी

सरकार ने यह भी निर्देश दिया है कि जो खदानें पहले से चल रही हैं, उनके लिए संबंधित राज्य सरकारें सभी पर्यावरणीय सुरक्षा उपायों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करें और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार कार्य करें। पर्यावरण की सुरक्षा और टिकाऊ खनन तरीकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए, चल रही खनन गतिविधियों को अतिरिक्त प्रतिबंधों के साथ सख्ती से रेगुलेट किया जाएगा।

अरावली की कानूनी परिभाषा और विवाद

नवंबर 2025 में, शीर्ष अदालत ने पर्यावरण मंत्रालय के नेतृत्व वाली एक समिति की सिफारिश पर अरावली पहाड़ियों और अरावली रेंज की एक समान कानूनी परिभाषा को स्वीकार किया था। इस परिभाषा के तहत, ‘अरावली पहाड़ी’ अपने आसपास के इलाके से कम से कम 100 मीटर की ऊंचाई वाली एक भू-आकृति है और ‘अरावली रेंज’ एक-दूसरे के 500 मीटर के भीतर स्थित दो या दो से अधिक ऐसी पहाड़ियों का समूह है। इसके बाद सोशल मीडिया पर सरकार की आलोचना शुरू हो गई थी।

केंद्र सरकार का पक्ष

इस मुद्दे पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कांग्रेस पर अरावली की नई परिभाषा को लेकर गलत सूचना और झूठ फैलाने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि पर्वत श्रृंखला के केवल 0.19 प्रतिशत हिस्से में ही कानूनी रूप से खनन किया जा सकता है। यादव ने यह भी कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार अरावली की सुरक्षा और पुनर्स्थापन के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।

अरावली मुद्दे को बढ़ता देख केंद्र सरकार ने अब स्पष्ट रूप से बयान जारी करते हुए राज्यों को अरावली में किसी भी प्रकार के नए खनन पट्टे देने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के निर्देश जारी किए हैं। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अनुसार, इन निर्देशों के जरिए गुजरात से दिल्ली एनसीआर तक फैली अरावली की रक्षा की जाएगी और सभी अनियमित खनन गतिविधियों पर रोक लगेगी।

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Join Mahatvapoorna WhatsApp Channel