जयपुर: राजस्थान की भजनलाल कैबिनेट द्वारा 9 नए जिलों को निरस्त करने के फैसले पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसे “अविवेकशील और राजनीतिक प्रतिशोध का उदाहरण” बताया। उन्होंने इस फैसले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह निर्णय केवल जनता को गुमराह करने और प्रशासनिक विकास को बाधित करने के लिए लिया गया है।
गहलोत का बयान:
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अशोक गहलोत ने लिखा कि उनकी सरकार ने जिलों के पुनर्गठन के लिए 21 मार्च 2022 को वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी रामलुभाया की अध्यक्षता में समिति बनाई थी। इस समिति ने विस्तृत अध्ययन और प्रतिवेदन के आधार पर नए जिलों के गठन की सिफारिश की थी।
उन्होंने कहा, “राजस्थान, मध्य प्रदेश से बड़ा राज्य होने के बावजूद, जिलों की संख्या के मामले में पीछे था। हमारे द्वारा बनाए गए नए जिलों से हर जिले की औसत आबादी 15.35 लाख और क्षेत्रफल 5268 वर्ग किमी हो गया, जिससे प्रशासनिक सेवाओं की पहुंच बेहतर हुई।”
भाजपा के तर्कों को बताया अनुचित:
- गहलोत ने भाजपा सरकार द्वारा छोटे जिलों को रद्द करने के तर्क को खारिज किया।
- उन्होंने कहा कि गुजरात, हरियाणा, और पंजाब जैसे पड़ोसी राज्यों में कई जिलों की आबादी 5 लाख से भी कम है, जैसे गुजरात के डांग (2.29 लाख), हरियाणा के चरखी दादरी (5.01 लाख)। उन्होंने कहा कि छोटे जिलों में कानून व्यवस्था और प्रशासनिक योजनाओं की सफलता ज्यादा होती है।
भाजपा के फैसले पर सवाल:
गहलोत ने भाजपा सरकार के अन्य तर्कों को भी खारिज किया: विधानसभा क्षेत्र: भाजपा का कहना है कि जिले में कम से कम 3 विधानसभा क्षेत्र होने चाहिए, जबकि 2007 में भाजपा सरकार द्वारा बनाए गए प्रतापगढ़ जिले में केवल 2 विधानसभा क्षेत्र हैं।
- दूरी का तर्क: उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने डीग जिले को रखा, जबकि भरतपुर से इसकी दूरी सिर्फ 38 किमी है। वहीं, सांचौर से जालोर की दूरी 135 किमी और अनूपगढ़ से गंगानगर की दूरी 125 किमी होने के बावजूद इन जिलों को रद्द कर दिया।
हमारी सरकार ने ठोस कदम उठाए:
गहलोत ने कहा कि उनकी सरकार ने केवल घोषणा नहीं की, बल्कि नए जिलों में कलेक्टर, एसपी, और अन्य अधिकारियों की नियुक्ति की। साथ ही इन जिलों को संसाधनों के लिए बजट भी आवंटित किया गया।
भाजपा का निर्णय अदूरदर्शी:
गहलोत ने कहा कि भाजपा का यह फैसला केवल राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित है। छोटे जिलों के प्रशासनिक लाभ को नजरअंदाज करना जनता के हितों के खिलाफ है। गहलोत ने भाजपा सरकार से इस निर्णय को वापस लेने की मांग की और इसे राजस्थान के विकास में बाधक बताया।