Home राजस्थान जोधपुर की जोजरी नदी पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, गंभीर प्रदूषण मामले की...

जोधपुर की जोजरी नदी पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, गंभीर प्रदूषण मामले की सुनवाई CJI करेंगे

0
25
जोजरी नदी में प्रदूषण के कारण फैक्ट्रियों का कचरा
जोजरी नदी में प्रदूषण के कारण फैक्ट्रियों का कचरा

जोधपुर: राजस्थान की जीवन रेखा कही जाने वाली जोजरी नदी आज गंभीर प्रदूषण संकट का शिकार है। दशकों से फैक्ट्रियों के जहरीले रसायनों का बोझ ढो रही यह नदी अब इंसानों और पर्यावरण दोनों के लिए खतरा बन चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए इसे चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के समक्ष भेजने का आदेश दिया।

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने टिप्पणी की कि यह मुद्दा न केवल पर्यावरण संरक्षण बल्कि लोगों के जीवन से भी जुड़ा है, इसलिए सर्वोच्च स्तर पर सुनवाई जरूरी है।

जहरीले कचरे से तबाह नदी

जोधपुर से बहने वाली जोजरी नदी में स्टील, कपड़ा, टेक्सटाइल और टाइल फैक्ट्रियों का इंडस्ट्रियल वेस्ट सीधे छोड़ा जा रहा है। इसमें सल्फर, लेड और कैडमियम जैसे रसायन घुलकर पानी को जहरीला बना रहे हैं।

नतीजतन, सैकड़ों गांवों का भूजल दूषित हो चुका है और पीने लायक पानी तक उपलब्ध नहीं है। किसानों को मजबूरी में इसी प्रदूषित पानी से सिंचाई करनी पड़ रही है, जिससे फसलें खराब हो रही हैं और ग्रामीण कैंसर, त्वचा रोग जैसी बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।

जोधपुर और पाली जिले के करीब 50 गांव प्रभावित हैं, जिनमें बाड़मेर के डोली, अरबा और कल्याणपुर प्रमुख हैं। आंकड़ों के मुताबिक लगभग 16 लाख लोग सीधे तौर पर प्रदूषण की मार झेल रहे हैं।

आंदोलन और फंडिंग के बावजूद समस्या जस की तस

हाल ही में आरएलपी सांसद हनुमान बेनीवाल के नेतृत्व में 17 अगस्त को डोली टोल प्लाजा के समीप “जोजरी बचाओ आंदोलन” महारैली का आयोजन हुआ।आरएलपी नेता थानसिंह डोली ने बताया कि इस महारैली के जरिए मुद्दे को राजनीतिक और सामाजिक मंच पर उठाया गया। लेकिन लंबे समय से नदियों की सफाई और प्रदूषण रोकने के लिए जारी फंडिंग का असर जमीन पर नजर नहीं आता। 2023 में 400 करोड़ रुपये, 2024 में 172.58 करोड़ रुपये, 2025-26 में 176 करोड़ रुपये आवंटित किए गए। भ्रष्टाचार और राजनीतिक खींचतान के कारण हालात जस के तस बने हुए हैं। 2019 से अब तक 73 फैक्ट्रियां बंद की गईं, फिर भी अवैध डिस्चार्ज जारी है।

सुप्रीम कोर्ट का कड़ा संदेश

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि यह मामला अनुच्छेद 21 (जीवन के अधिकार) से जुड़ा है। बेंच ने राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य सरकार से तुरंत रिपोर्ट मांगी है। पर्यावरणविदों का कहना है कि जब तक सभी फैक्ट्रियों में एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट अनिवार्य नहीं किया जाता और फंड का सही इस्तेमाल नहीं होता, तब तक हालात नहीं सुधरेंगे।

उम्मीद की नई किरण

सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी यमुना, जल महल झील और पोलर नदी के प्रदूषण पर सख्ती दिखाई थी। अब जोजरी मामले में न्यायिक हस्तक्षेप से स्थानीय लोगों को नई उम्मीद मिली है। किसानों और ग्रामीणों का कहना है, “हमारी फसलें बर्बाद हो रही हैं, बच्चे बीमार पड़ रहे हैं, कोर्ट ही हमारी आखिरी आस है।” सुप्रीम कोर्ट का यह कदम न केवल जोजरी बल्कि देशभर की प्रदूषित नदियों के लिए मिसाल बन सकता है।

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Join Mahatvapoorna WhatsApp Channel