पटनाः जी20 शिखर सम्मेलन में भारत की विरासत का अनूठा संगम देखने को मिला। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से दिए गए रात्रिभोज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां खड़े होकर अतिथियों का स्वागत कर रहे थे, यहां उनके ठीक पीछे बिहार स्थित नालंदा विश्वविद्यालय (नालंदा महाविहार) की तस्वीर दिखाई दे रही थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस दौरान जी 20 के कुछ नेताओं को नालंदा विश्वविद्यालय के महत्व के बारे में समझाते हुए नजर आए। वहीं राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ सीएम नीतीश कुमार ने विदेशी मेहमानों के साथ भी मुलाकात की। इस मौके पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी साथ में मौजूद थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक ओर प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय और देश की सभ्यता-संस्कृति से सभी को अवगत करा रहे हैं। वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भी नालंदा में पर्यटन विकास को लेकर विशेष लगाव रहा है। ऐसे में राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि नालंदा विश्वविद्यालय आने वाले समय में एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दोस्ती का प्रमुख कारण बन जाए, तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।
प्राचीन भारत की प्रगति का दर्शन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक ओर प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय और देश की सभ्यता-संस्कृति से सभी को अवगत करा रहे हैं। वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भी नालंदा में पर्यटन विकास को लेकर विशेष लगाव रहा है। ऐसे में राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि नालंदा विश्वविद्यालय आने वाले समय में एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दोस्ती का प्रमुख कारण बन जाए, तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।
प्राचीन भारत की प्रगति का दर्शन
नालंदा विश्वविद्यालय में आठवीं से 12वीं शताब्दी के बीच दुनिया के कई देशों के विद्यार्थी पढ़ने आते थे। जब दुनिया भर में शिक्षा को लेकर आज जैसी जागरूकता नहीं थी, उस दौरान इस विश्वविद्यालय में करीब 10 हजार स्टूडेंटस पढ़ते थे। इस विश्वविद्यालय में देश के विभिन्न हिस्सों के अलावा जापान, कोरिया, इंडोनेशिया, चीन, फारस और तुर्की से छात्र पढ़ने आते थे। इस विश्वविद्यालय के अवशेष आज भी मौजूद हैं।
कुमारगुप्त के शासन में हुई थी नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना

इतिहासकारों के अनुसार नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 427 ईस्वी में गुप्त वंश के शासक सम्राट कुमारगुप्त ने की थी। वे एक महान हिंदू शासक थे। लेकिन उन्होंने उस समय उभर रहे बौद्ध ज्ञान का भी समर्थन किया था। यह विश्वविद्यालय उसी का प्रतीक था। बाद में महान सम्राट हर्षवर्द्धन और पाल शासकों का भी संरक्षण मिला।
90 लाख से ज्यादा किताबें
इस विश्वविद्यालय में 90 लाख से ज्यादा किताबें हुआ करती थी। इतिहासकारों के मुताबिक वर्ष 1190 के दशक में तुर्क-अफगान सैन्य जनरल बख्तियार खिलजी के नेतृत्व में भारत पर हमला हुआ। हमलावरों ने सोने-चांदी की लूट के साथ ही विश्वविद्यालय में भी आग लगा दी गई। यह आग इतनी भयानक थी कि कई महीनों तक बुझ नहीं सकी थी।
PK ने की बड़ी भविष्यवाणी
इसी मुलाकात और डिनर में शामिल होने के बीच प्रशांत किशोर ने एक बड़ी भविष्यवाणी कर दी है और कहा कि आगामी दोनों चुनाव कब होंगे ये नहीं पता, लेकिन बिहार में जो आज की व्यवस्था है उस तर्ज पर नहीं होंगे| प्रशांत किशोर ने कहा कि कौन नेता या दल किधर भागेगा ये कोई नहीं जानता है| आज जो व्यवस्था है जिसमें 7 दल एक हो रहे हैं| अगले चुनाव से पहले आप देखेंगे इसमें बड़ा परिवर्तन आएगा| इसकी झलक आपको दिख भी रही होगी|