नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने जोजरी नदी प्रदूषण को लेकर राजस्थान सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि यह सिस्टम की विफलता है जिससे जोधपुर पाली और बालोतरा के करीब 20 लाख लोग प्रदूषण से प्रभावित हो रहे हैं। राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा द्वारा दाखिल स्थिति रिपोर्ट और बयान को रिकॉर्ड पर लेते हुए कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया है।
जमीनी हालात बेहद चिंताजनक
कोर्ट ने कहा कि यह राज्य सरकार की भारी विफलता है कि उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषण अभी भी नदियों में जा रहा है। वर्षों से मामले में संज्ञान लेने के बावजूद जमीनी हालात बदतर होते जा रहे हैं। कोर्ट ने टिप्पणी की कि अब एनजीटी के आदेश से आगे ठोस कदम उठाए जाएंगे।
गंदा पानी सीधे नदियों में डाला जा रहा
कोर्ट ने सवाल उठाया कि जब सीईटीपी बाईपास कर दिए गए हैं और गंदा पानी सीधा नदियों में डाला जा रहा है तो नगरपालिका संस्थाओं को दंड से मुक्त क्यों रखा जाए। अदालत ने कहा कि जब रोकथाम की व्यवस्थाएं निष्क्रिय हैं तो राहत नहीं दी जा सकती।
2 करोड़ के जुर्माने पर रोक की मांग
राज्य सरकार की ओर से एएजी शिव मंगल शर्मा ने अदालत से आग्रह किया कि एनजीटी द्वारा आरआईआईसीओ और नगर निकायों पर लगाए गए 2 करोड़ रुपये के जुर्माने को कुछ समय के लिए रोका जाए। उन्होंने कहा कि सरकार अब एनजीटी के निर्देशों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।
21 नवंबर को अगली सुनवाई
कोर्ट ने कहा कि राज्य की प्रतिबद्धता अब कागज़ों में नहीं बल्कि जमीन पर दिखनी चाहिए। मामला अब 21 नवंबर को सूचीबद्ध है। सुप्रीम कोर्ट जोजरी बंडी और लूनी नदियों में प्रदूषण संकट से निपटने के लिए नए निर्देश जारी कर सकता है।


