कलश यात्रा के साथ हुआ श्रीमद्भागवत कथा का मंगल आरंभ

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कलश यात्रा के साथ हुआ श्रीमद्भागवत कथा का मंगल आरंभ
कलश यात्रा के साथ हुआ श्रीमद्भागवत कथा का मंगल आरंभ

बेंगलूरु.  सीरवी समाज ट्रस्ट, हेब्बाल के तत्वावधान में आईमाता वडेर में शनिवार को संत कृपाराम व संत राजाराम के सान्निध्य में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ भव्य कलश यात्रा के साथ किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने पूरे उत्साह और भक्ति भाव से भाग लिया। मंगल कलशों के साथ भक्तिमय वातावरण और मंत्रोच्चार ने आयोजन स्थल को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। कलश यात्रा शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए वापस वडेर परिसर पहुंचकर संपन्न हुई। सिर पर कलश रख महिलाएं जिधर से भी गुजरती वहां का माहौल भक्ति में सराबोर हो उठता। जगह-जगह लोगों ने पुष्प वर्षा कर कलश यात्रा का स्वागत किया। इससे पूर्व कथा स्थल पर कथा व हवन के लाभार्थी परिवारों- संस्था के पूर्व सचिव सोहनलाल राठौड़, रतनलाल राठौड़, तेजाराम राठौड़ ने पूजन किया और हवन में मंत्रोच्चार के साथ आहुतियां दी।

कथा का शुभारंभ करते हुए कथा वाचक संत कृपाराम ने श्रीमद्भागवत कथा श्रवण के महत्व का वर्णन किया। कथा वाचक ने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण न केवल आत्मा को शुद्ध करता है, बल्कि जीवन में आने वाली विपत्तियों और कठिनाइयों से भी मुक्ति दिलाता है। यह कथा हर व्यक्ति को धर्म, भक्ति और सत्कर्म का मार्ग दिखाती है। जहां भागवत कथा होती है वह क्षेत्र सकारात्मक उर्जा से सशक्त हो जाता है। कथा के श्रवण आध्यात्मिक विकास और भगवान के प्रति भक्ति गहरी होती है। भागवत से भक्ति और भक्ति से शक्ति की प्राप्ति होती है ।

उन्होंने कहा कि कथा श्रवण की सार्थकता तभी सिद्ध होती है जब इसे हम अपने जीवन और व्यवहार में धारण करें। श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र में लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। कथा का श्रवण करने वाले मनुष्यों को दुखों व विपत्तियों मुक्ति मिलती है। प्रतिदिन के व्यस्त दिनचर्या में से प्रभु की भक्ति के लिए समय निकालना चाहिए। श्रीमद्भागवत की संपूर्ण कथा का श्रवण करना चाहिए। इस मोक्ष प्रदायिनी कथा के श्रवण से मनुष्य के जन्म-जन्मांतर के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इस अवसर पर संस्था के अध्यक्ष पुनाराम बर्फा, सचिव वालाराम सोलंकी, चिमनाराम चोयल, विरमराम राठौड़, सोहनलाल गहलोत, महिला मंडल से लक्ष्मी राठौड़, सीतादेवी राठौड़ समेत अन्य श्रद्धालु मौजूद थे।

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