उपराष्ट्रपति चुनाव में BRS और BJD नहीं करेंगे मतदान, दोनों दल रहेंगे तटस्थ

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उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान से दूर रहने का ऐलान करते हुए BRS और BJD के नेता
उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान से दूर रहने का ऐलान करते हुए BRS और BJD के नेता

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति चुनाव में अब बस एक दिन शेष है और इसी बीच दो प्रमुख तटस्थ दलों—के चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली भारतीय राष्ट्र समिति (BRS) और नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली बीजू जनता दल (BJD)—ने मतदान से दूर रहने का फैसला किया है। ये दोनों दल राष्ट्रीय स्तर पर किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं, न एनडीए और न ही इंडिया ब्लॉक। दोनों ने स्पष्ट किया है कि वे एनडीए और इंडिया ब्लॉक दोनों से समान दूरी बनाए रखेंगे और चुनाव प्रक्रिया में भाग नहीं लेंगे।

तेलंगाना में यूरिया संकट पर BRS का निर्णय

बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के. टी. रामा राव ने सोमवार को कहा कि उपराष्ट्रपति चुनाव में भाग न लेने का फैसला तेलंगाना के किसानों की परेशानी को व्यक्त करने का तरीका है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही यूरिया की कमी की समस्या को हल करने में विफल रहे हैं। स्थिति इतनी गंभीर है कि यूरिया लेने के लिए लगी कतारों में किसानों के बीच हाथापाई की नौबत आ गई है।
केटीआर ने कहा कि यदि उपराष्ट्रपति चुनाव में नोटा (NOTA) का विकल्प उपलब्ध होता, तो बीआरएस उसका इस्तेमाल करती।

बीजद का फोकस ओडिशा के विकास पर

बीजद नेता सस्मित पात्रा ने कहा कि उनकी पार्टी की प्राथमिकता ओडिशा के साढ़े चार करोड़ लोगों का विकास और कल्याण है। उन्होंने बताया कि पार्टी अध्यक्ष नवीन पटनायक ने वरिष्ठ नेताओं, राजनीतिक मामलों की समिति और सांसदों से विचार-विमर्श करने के बाद यह निर्णय लिया कि बीजद उपराष्ट्रपति चुनाव में भाग नहीं लेगी। पात्रा ने दोहराया कि बीजद एनडीए और इंडिया ब्लॉक दोनों से समान दूरी बनाए रखेगी और पूरी तरह राज्य के विकास पर ध्यान केंद्रित करेगी।

9 सितंबर को होगा उपराष्ट्रपति चुनाव

उपराष्ट्रपति चुनाव 9 सितंबर को सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक होगा। इंडिया ब्लॉक ने अपने उम्मीदवार के रूप में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बी सुदर्शन रेड्डी को नामित किया है, जबकि एनडीए की ओर से सीपी राधाकृष्णन चुनावी मैदान में हैं।
यह चुनाव संसद के दोनों सदनों के सांसदों वाले निर्वाचक मंडल द्वारा कराया जाएगा और यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 64 और 68 के प्रावधानों के तहत होती है।
उल्लेखनीय है कि 21 जुलाई को संसद के मानसून सत्र के पहले दिन तत्कालीन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया था, जिसके बाद यह पद रिक्त हो गया।

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