जोधपुर। राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने मंगलवार को जोधपुर में अपने बयान से सियासी हलचल तेज कर दी। उन्होंने कहा कि राजस्थान हम सबका परिवार है और राजनीति में मतभेद स्वाभाविक हैं, लेकिन आपसी मेलजोल और सद्भावना ही सबसे बड़ा आधार है।
रामसा पीर से शुरू हुई राजनीतिक यात्रा
वसुंधरा राजे ने याद दिलाया कि उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत बाबा रामसा पीर के दर्शन से हुई थी। उन्होंने कहा कि पहला आशीर्वाद उन्हें देवता से मिला और इसके बाद समाज के लोगों का समर्थन जुड़ता गया। राजे ने विश्वास पर जोर देते हुए कहा कि रामसा पीर हर किसी की मनोकामना पूरी करते हैं, बस धैर्य रखना जरूरी है।
समर्थकों और आलाकमान के लिए संदेश
पिछले दिनों से वसुंधरा राजे के ‘वनवास’, ‘धैर्य’ और अब ‘परिवार’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल चर्चा का विषय बना हुआ है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान सीधे तौर पर उनके समर्थकों और पार्टी आलाकमान, दोनों के लिए संकेत है।
धौलपुर में दिया था बड़ा बयान
धौलपुर की राम कथा में राजे ने हाल ही में कहा था कि आज की दुनिया अजीब है, जहां जिसे अपना समझा जाता है, वही पराया हो जाता है। उन्होंने परिवार की ड्यूटी का हवाला देते हुए कहा कि हर सदस्य को अपनी भूमिका निभानी पड़ती है।
वनवास और धैर्य पर टिप्पणी
वसुंधरा राजे ने यह भी कहा था कि वनवास हर किसी की जिंदगी में आता है लेकिन स्थायी नहीं होता। रामजी ने सिखाया है कि धैर्य जीवन का सबसे बड़ा सहारा है और हमें मन में गांठ नहीं रखनी चाहिए क्योंकि परिस्थितियां हमेशा बदलती रहती हैं।
जोधपुर से अजमेर का दौरा
भाजपा नेता भोपाल सिंह बडला ने जानकारी दी कि वसुंधरा राजे जोधपुर से जैसलमेर के मोहनगढ़ गईं, जहां उन्होंने पूर्व सांसद कर्नल सोनाराम को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद वे जोधपुर लौटकर रात्रि विश्राम करेंगी और बुधवार को अजमेर के लिए रवाना होंगी।