वृंदावन : उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में पहली बार बालभोग तय समय पर अर्पित नहीं हो सका। मंदिर की हाई पावर मैनेजमेंट कमेटी द्वारा निर्धारित किए गए हलवाई को भुगतान न मिलने के कारण बालभोग नहीं बन पाया। बाद में कमेटी सदस्य के हस्तक्षेप के बाद हलवाई ने बालभोग तैयार किया और करीब डेढ़ घंटे की देरी से भगवान को अर्पित किया गया।
दिन में तीन बार अर्पित किया जाता है भोग
भगवान बांके बिहारी जी को दिन में तीन बार भोग अर्पित किया जाता है। सबसे पहले मंदिर खुलने से पहले श्रृंगार के बाद बालभोग लगाया जाता है, जिसमें दो मिठाइयां और दो नमकीन होते हैं। इसके बाद दोपहर में राजभोग और रात में शयन भोग अर्पित किया जाता है।
सर्दियों में साढ़े आठ बजे लगता है बालभोग
सर्दियों में भगवान को बालभोग सुबह करीब साढ़े आठ बजे अर्पित किया जाता है, लेकिन इस बार बालभोग करीब डेढ़ घंटे की देरी से सुबह दस बजे अर्पित किया गया। यह पहली बार है जब निर्धारित समय पर भगवान को बालभोग अर्पित नहीं किया जा सका।
भुगतान न मिलने से नहीं बना भोग
हाई पावर मैनेजमेंट कमेटी बनने के बाद मंदिर में भगवान को अर्पित किए जाने वाले भोग के लिए ठेके पर हलवाई रखा गया है। ठेकेदार द्वारा हलवाई को समय पर तनख्वाह नहीं दिए जाने के कारण भोग नहीं बनाया गया। बाद में सैलरी दिए जाने का आश्वासन मिलने पर देरी से भोग तैयार किया गया।
पुजारी ने दी भोग व्यवस्था की जानकारी
मंदिर के पुजारियों ने बताया कि भगवान को सुबह दो बार और शाम को दो बार भोग लगाया जाता है, जबकि रात्रि में शयन के समय लड्डू और जल अर्पित किया जाता है।
बांके बिहारी जी के पुजारी विजय कृष्ण गोस्वामी के अनुसार पक्का प्रसाद मंदिर के ऊपर बनी रसोई में तैयार होता है, जबकि कच्चा प्रसाद जैसे चावल, रोटी और दाल गोस्वामियों के घर यानी हवेली में बनाया जाता है।


