कांग्रेस को लगा एक और बड़ा झटका, महाराष्ट्र के पूर्व सीएम अशोक चव्हाण ने दिया इस्तीफा, बीजेपी में हो सकते हैं शामिल

0
7
कांग्रेस को लगा एक और बड़ा झटका, महाराष्ट्र के पूर्व सीएम अशोक चव्हाण ने दिया इस्तीफा, बीजेपी में हो सकते हैं शामिल
कांग्रेस को लगा एक और बड़ा झटका, महाराष्ट्र के पूर्व सीएम अशोक चव्हाण ने दिया इस्तीफा, बीजेपी में हो सकते हैं शामिल

महाराष्ट्र में कांग्रेस को तीसरा बड़ा झटका लगा है। यहां पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व सांसद अशोक चव्हाण ने सोमवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। चव्हाण ने अपने विधायक पद से भी इस्तीफा दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को सौंपा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चह्वाण का फोन संपर्क से बाहर है। चर्चा है कि वह 13 बड़े नेताओं के साथ भाजपा में शामिल हो सकते हैं। चव्हाण 3ः00 बजे आधिकारिक जानकारी देंगे।

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भाजपा प्रदेश अध्यक्ष आशीष शेलार के साथ पार्टी दफ्तर पहुंचे हैं। फडणवीस का कहना है कि महाविकास आघाड़ी (MVA) के कई बड़े नेता उनके संपर्क में हैं। उन्होंने मीडिया से कहा, “देखो आगे क्या-क्या होता है, अभी कई नेता भाजपा में शामिल होंगे।” उधर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले दिल्ली रवाना हो गए। बता दें, मिलिंद देवड़ा और बाबा सिद्दीकी के बाद चव्हाण कांग्रेस के तीसरे बड़े नेता हैं, जिन्होंने पार्टी छोड़ी है।

चव्हाण कांग्रेस के कद्दावर नेता माने जाते हैं। दिसंबर, 2008 में जब मुंबई में आतंकी हमला हुआ था, उस समय विलासराव देशमुख को मुख्यमंत्री पद से हटाकर चव्हाण को मुख्यमंत्री बनाया गया था। चव्हाण ने 2010 तक मुख्यमंत्री पद संभाला था। इसके अलावा वह महाराष्ट्र के संस्कृति विभाग, उद्योग विभाग और माइंस विभाग की जिम्मेदारियां भी संभाल चुके हैं। चव्हाण के पिता शंकर राव चह्वाण भी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।

कौन थे कर्पूरी ठाकुर 

बिहार के समस्तीपुर जिले के एक छोटे से गाँव के रहने वाले ठाकुर एक स्वतंत्रता सेनानी थे और 1924 में अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के कारण उन्हें जेल में डाल दिया गया था। 1952 में ठाकुर पहली बार विधायक बने और राज्य स्तर पर उनकी चुनाव जीतने की लय 1985 तक जारी रही। ‘जन नायक’ के नाम से जाने जाने वाले कर्पूरी ठाकुर दो बार 1970 में (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के साथ) ) और 1977 (जनता पार्टी के साथ) बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। कर्पूरी ठाकुर जनता पार्टी के नेता के तौर पर जून 1977 को बिहार के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने मुख्यमंत्री बनते ही पिछड़ों को आरक्षण के वादे को पूरा करने का काम शुरू किया। जिसकी वजह से वो अपनी ही पार्टी के अंदर आलोचना का शिकार होने लगे। हां तक की जेपी पर भी कर्पूरी ठाकुर से नाराजगी की बात कही गई थी। मुख्यमंत्री बनते ही उनहोंने 27 फीसदी आरक्षण पिछड़ों को दे दिया था। ये उनकी सोच थी। 

admin
Author: admin

News

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here