भामाशाह एवं दानदाता धर्मगुरु के हाथो हुए सम्मानित
कुक्षी : मध्यप्रदेश धर्म की जड़ पाताल मे होती हे। सदैव धर्म के कार्य करते रहना चाहिए। हमेशा माता पिता की आज्ञा का पालन करना चाहिए। अगर अपने परिवार को सुधारना हे तो उसकी शुरुआत अपने से ही करनी होगी। उक्त प्रेरक वचन धर्मगुरु दीवान माधवसिंहजी ने धर्मसभा मे उपस्थित जनो को आशीर्वचन स्वरूप कहे। उन्होने कहा कि आज से सेकड़ो वर्षो पहले श्री आई माताजी ने समाज को आगे बढ़ाने व धर्म का प्रचार करने हेतु दीवान परम्परा की शुरुआत की थी तब से लेकर आज तक वह परम्परा निरंतर चालू है। धर्मगुरु ने कहा- हमारी मारवाड़ी मे कहावत हे-“जिकी औलाद सुधरी, उको जमानो सुधरियों” याने जिस परिवार मे युवा सही रास्ते पर हे वो परिवार हमेशा प्रगतिशील होकर समृद्ध बना हे।

ईमानदारी, दया, सहनशीलता के कारण ही आज हमारा समाज चहुंमुखी विकाश कर रहा हे।
धर्मगुरु ने सिर्वी समाज सकल पंचो की उपस्थिति मे इस धार्मिक आयोजन मे सप्तदिवसीय प्रातः नास्ते के लाभार्थी जीजी सा ग्रुप- 2 के साथ सात दिन शाम के सहभोज के लाभार्थी परिवारो एवं 19 बोलियो के लाभार्थी परिवारो तथा समाज के अन्य दानदाताओं, वरिष्ठ भामाशाओ को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। साथ हि समाज के 25 से अधिक संगठनो एवं समितियो को भी सम्मानित किया गया। समाज के प्रत्येक परिवार को कार्यक्रम की याद स्वरूप एक चांदी का सिक्का गुरुजी के कर कमलो से भेंट किया गया।

नविन मांगलिक भवन मे समाज की ओर से प्रथम सामूहिक सहभोज का आयोजन धर्मगुरु के सानिध्य मे सम्पन्न हुआ। सिर्वी समाज सकल पंचो ने धर्मगुरू दीवान साहब को ससम्मान नजराना भेंट कर विदाई दी। कार्यक्रम के सफल आयोजन मे सहयोग हेतु सिर्वी समाज सकल पंचो ने सभी समाजजनो समितियों, संगठनो, तथा प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष सहयोग करने वालो का आभार प्रकट किया। संचालन नरेन्द्र सिर्वी ने किया।