लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर तारीखों का ऐलान होना है लेकिन उससे ठीक पहले चुनाव आयोग के चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना भेज दिया है, जिसे राष्ट्रपति द्वारा स्वीकार भी कर लिया गया है। अब सवाल यह है कि आखिर इस इस्तीफे की वजह क्या है, चारों तरफ उनके इस्तीफे के चर्चे हैं लेकिन अभी तक वजहों को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है।
बता दें कि लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी माहौल काफी गर्म है और सारे राजनीतिक दल चुनाव की तैयारियों में बिजी हैं। दूसरी ओर चुनाव आयोग इलेक्शन कंडक्ट कराने की तैयारी भी कर रहा है लेकिन अरुण गोयल ने अचानक इस्तीफा देकर कई नए कयासों को बल दे दिया है।
ध्यान देने वाली बात यह भी है कि चुनाव आयुक्त का एक पद पहले से ही खाली था और अरुण गोयल का इस्तीफा होने के बाद दोनों ही पद खाली हो गए हैं। ऐसे में सीधे तौर पर चुनाव कराने की मुख्य जिम्मेदारी मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के कंधों पर ही आ गई है, जो कि उनके लिए भी काफी चुनौतीपूर्ण होने वाला है।
मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त के नियमों के अनुसार मुख्य चुनाव आयुक्त या चुनाव आयुक्त, किसी भी समय राष्ट्रपति को लिखित रूप में इस्तीफा सौंपकर अपना पद छोड़ सकता है। भारतीय प्रशासनिक सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने से पहले अरुण गोयल केंद्रीय भारी उद्योग मंत्रालय में सचिव थे। उनकी नियुक्ति विवादों में रही थी और इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी गई थी।
कौन हैं अरुण गोयल?
चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की बात करें तो वे 1985 बैच के IAS अधिकारी रहे हैं। उन्होंने 18 नवंबर, 2022 को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी और इसके अगले ही दिन उन्हें चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया था। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने भी सुनवाई के दौरान पूछा था कि आखिरकार किस बात की इतनी जल्दबाजी थी, जो वीआरएस लेने के अगले ही दिन अरुण गोयल को इलेक्शन कमिश्नर पद पर नियुक्ति दे दी गई।
वीआरएस लेने के अगले ही दिन उनकी नियुत्ति चुनाव आयुक्त के तौर पर होने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी आश्चर्य जताते हुए सरकार से पूछा था कि आखिर इस मामले की इतनी जल्दी क्या थी?