
बेंगलुरु : कर्नाटक विधानसभा में वाणिज्यिक व औद्योगिक प्रतिष्ठानों के साइनबोर्ड पर 60 प्रतिशत हिस्से में कन्नड़ भाषा का उपयोग अनिवार्य करने संबंधी विधेयक को गुरुवार क्रो विधानसभा ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। सदन में कहा कि नियम का अनुपालन न करने पर व्यवसायों के लाइसेंस रद्द कर दिए जाएगे। मंगलवार को सरकार ने विधानसभा में कन्नड़ भाषा व्यापक विकास (संशोधन) विधेयक-2024 पेश किया था जिसमें मौजूदा, नियमों में बदलाव कर साइनबोर्ड पर 60 प्रतिशत हिस्से में कन्नड़ भाषा का उपयोग किए जाने का प्रावधान किया गया है। विधेयक में यह साफ कहा गया है कि कन्नड़ भाषा का प्रयोग साइनबोर्ड के ऊपरी हिस्से में होगा। मौजूदा नियमों के मुताबिक अभी सिर्फ साइनबोर्ड पर कन्नड़ भाषा का उपयोग अनिवार्य है। सदन में विचार के लिए विधेयक पेश करते हुए कन्नड़ और संस्कृति मंत्री शिवराज तंगडगी ने कहा कि सरकार कानून को लागू करने के लिए नियम बना रही है। नियमों में हम लाइसेंस रद्द करने का प्रावधान करेंगे। लाइसेंस रद्द होने पर ही व्यवसायों और प्रतिष्ठानों को परेशानी महसूस होगी। नए लाइसेंस जारी करने या मौजूदा लाइसेंस को नवीनीकृत करने के समय, हम पहले यह सुनिश्चित करेंगे कि उन्होंने साइनबोडों में कन्नड़ का उपयोग करने के नियमों का अनुपालन किया है। उन्होंने विधायकों, विशेषकर विपक्षी भाजपा के विधायकों को यह भी आश्वासन दिया कि सरकार उल्लंघन के लिए जुर्माना लगाने के नियम भी शामिल करेगी
क्या हैं बिल के प्रमुख प्रावधान?
विधेयक की शर्तों के अनुसार, विशेष रूप से वाणिज्यिक, औद्योगिक और स्वास्थ्य देखभाल प्रतिष्ठानों में, नाम बोर्डों पर कन्नड़ को 60 प्रतिशत स्थान पर कब्जा करना चाहिए। कानून कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक राज्य स्तरीय समिति के गठन की भी रूपरेखा तैयार करता है, जिसमें कन्नड़ और संस्कृति निदेशालय के निदेशक और कन्नड़ विकास प्राधिकरण के सचिव महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए, सरकार उल्लंघन के लिए जुर्माना लगाने और प्रत्येक जिले में टास्क फोर्स और प्रवर्तन विंग स्थापित करने की योजना बना रही है। इसके अतिरिक्त, बेंगलुरु के नगरपालिका क्षेत्रों में समितियां ‘कंगवालु’ नामक एक समर्पित ऐप द्वारा समर्थित शिकायतों का समाधान करेंगी। इस विधेयक को पेश करने का निर्णय, विशेष रूप से बेंगलुरु में व्यवसायों द्वारा अनुपालन न करने की घटनाओं के बाद, कन्नड़ समर्थक समूहों द्वारा व्यापक विरोध प्रदर्शन के कारण लिया गया। अध्यादेश को विधेयक के रूप में पेश करने की राज्यपाल थावरचंद गहलोत की सलाह ने इसकी मंजूरी के लिए विधायी मार्ग को रेखांकित किया।
भाजपा ने ये दी प्रतिक्रिया :
बीजेपी विधायक एस सुरेश कुमार ने कहा, ‘यह बहुत दुखद है कि कन्नड़ भाषा के उपयोग के लिए एक विधेयक प्रस्तुत किया जा रहा है। सबसे पहले मानसिकता बदलनी होगी। कन्नड़ भाषा का कार्यान्वयन अभी से पर्याप्त हो। विधायक अरविंद बेलाडा और पूर्व मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने संशोधन विधेयक पेश किए जाने का स्वागत किया। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री शिवराज थंगाडगी ने कहा, ‘हम सदन में विधायकों द्वारा व्यक्त किए गए सभी विचारों का सम्मान करते हैं और नियम बनाते समय हम उनके सुझावों को अपनाएंगे।
विपक्ष के नेता आर. अशोक ने विधेयक का स्वागत करते हुए जुर्माना लगाने की जरूरत पर जोर दिया। अशोक ने कहा, भले ही आप इसे 80 प्रतिशत (कन्नड़ का उपयोग) कर दें, हम इसका समर्थन करेंगे। लेकिन हम जो पारित करते हैं, वह सिर्फ अधिनियम बनकर नहीं रहना चाहिए। भारी जुर्माना लगाएं, यही एकमात्र चीज है जो काम करेगी। वरिष्ठ भाजपा विधायक एस. सुरेश कुमार ने कानून लागू करने की आवश्यकता पर जोर के अलावा टास्क फोर्स का गठन करेगी। उन्होंने कहा कि नाम बोर्डी पर कन्नड़ का इस्तेमाल न होने की समस्या केवल बेंगलूरु में है। बेंगलूरु में सरकार बृहद बेगलूरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) के सभी सभागों में समितियां बनाएगी। ये समितियां शिकायतें मिलने पर कार्रवाई करेगी। इसके लिए एक ऐप भी लाया जाएगा

गौरतलब है कि मंत्रिमंडल ने 5 जनवरी को साइनबोर्ड पर कन्नड़ भाषा का 60 प्रतिशत उपयोग संगीतकारों की अगली पीढ़ी का उत्थान, सशक्तिकरण लक्ष्य सख्त हो नियम, भारी जुर्माना लगाएं: विपक्ष देते हुए कहा कहा कि कन्नड़ के लिए कानून बनाना अपने आप में दर्दनाक है। लोगों के साथ-साथ विभाग के अधिकारियों को भी कन्नड़ में नाम बोर्ड का प्रदर्शन सुनिश्चित करने के लिए अपनी मानसिकता बदलनी होगी। अरगा ज्ञानेंद्र, सी.सी. पाटिल, के. गोपालय्या और अन्य सदस्यों ने भी कानून का उल्लंघन करने वाले बहुराष्ट्रीय कंपनियों, मॉल और अन्य बड़े प्रतिष्ठानों पर भारी जुर्माना लगाने की मांग की।