बेंगलुरू : श्रीरामपुरूम में स्थित जेपीपी श्रवणी भवन में चातुर्मास विराजित मुन्निश्री ने अपने प्रवचन में कहा कि अनेक श्रावक एवम् श्राविकाओं नवकार महामंत्र के विषय में समझाते हुए कहा है कि अरिहंत परमात्मा अनंतगुणो के भंडार है। और चार कषाय से मुक्त है, चार गति का निवारण करने वाले ऐसे अरिहंत परमात्मा के प्रति सच्ची श्रद्धा एवं विश्वास के साथ परमात्म की पूजा-अर्चना नामस्मरण करने से हम जो अनंतकाल से संसार में भटक रहे है। वो संसार का विसर्जन करते है ।
नमो अरिहंताणं’ पद से है। अष्टापद तीर्थ की यात्रा करनी है। अष्टापद की यात्रा करने से अक्षयसुख की प्राप्ति होती है। और नमो सिद्धाण, पद से जहाँ पर अनंत-अनंत आत्माओं अपने पापों का प्रक्षालन करके अपने आत्मा को पावन-पवित्र बनाते है ।ऐसे श्री सिद्धाचल महातीर्थ की यात्रा करनी है । मुनि श्री श्रमणपसागर मसा ने कहा कि व्यक्ति को नमस्कार करने आपको संसार के सुख मिलेंगे पर पंच परमेष्ठि ऐसे अनंत गुण के सागर को वंदन एवं नमस्कार करने से का शाश्वत ऐसे परमसुख यानि मोक्षसुख की प्राप्ति होती है।
दिनांक 18 से संतिकरं महातप की आराधना का शुभारंभ होगा l और रविवार के दिन वन्दे जिनशासनम् के विषय में पूज्य गुरुदेव के मुखारविंद से हृदय को झकझोर देने वाली ऐसी अद्भुत प्रस्तुति सुबह 8 बजे होगी। आज के इस कार्यक्रम में दीप प्रज्वलित करने का लाभ पिस्ता बाई नेमिचंद,अशोक गूगलीया परिवार अंबिका फार्मा वालों ने लिया।