एक देश-एक चुनाव के लिए गठित समिति की बैठक पूरी, बयान में कहा- सभी दलों की ओर से

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एक देश-एक चुनाव के लिए गठित समिति की बैठक पूरी, बयान में कहा- सभी दलों की ओर से
एक देश-एक चुनाव के लिए गठित समिति की बैठक पूरी, बयान में कहा- सभी दलों की ओर से

नई दिल्ली। एक देश, एक चुनाव को लेकर गठित उच्च स्तरीय समिति की शनिवार को पहली बैठक हुई। समिति ने फैसला लिया कि एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों और विधि आयोग के साथ बैठक कर उनके भी विचार लिए जाए। समिति ने इन सभी को आमंत्रित करने का निर्णय लिया है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक साथ चुनाव कराने की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए गठित उच्चस्तरीय समिति ने शनिवार को नई दिल्ली में बैठक की जिसमें समिति की कार्य योजना तय की गई और हितधारकों के साथ विचार-विमर्श करने के तरीके पर चर्चा की गई।

सरकार ने लोकसभा, विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे पर जल्द से जल्द विचार करने और सिफारिशें देने के लिए दो सितंबर को आठ सदस्यीय ‘उच्च स्तरीय’ समिति को अधिसूचित किया था।

बैठक को परिचयात्मक बताते हुए इस बारे में जानकारी रखने वाले लोगों ने कहा कि इसे रोडमैप पर चर्चा करने के लिए बुलाया गया था कि समिति को दिए गए जनादेश को कैसे आगे बढ़ाया जाए।

बैठक के बाद जारी बयान में बताया गया कि एक साथ चुनाव पैनल ने एक साथ चुनाव के मुद्दे पर विचार जानने के लिए मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय, राज्य दलों को आमंत्रित करने का निर्णय लिया गया। इसके साथ ही वन नेशन-वन इलेक्शन के लिए बनी उच्च स्तरीय समिति ने विधि आयोग को भी इस मसले पर आमंत्रित करने का फैसला किया।

बैठक के एजेंडे में कार्य पत्र तैयार करना, हितधारकों के साथ परामर्श करना और गहन चर्चा के लिए इस विषय पर शोध करना भी शामिल था। गृह मंत्री अमित शाह, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद और वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह समिति के सदस्यों में शामिल हैं। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी भी सदस्य थे। हालांकि, शाह को लिखे एक पत्र में उन्होंने पैनल का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया।   

चौधरी ने पत्र में कहा था कहा था, “मुझे उस समिति में शामिल होने से इनकार करने में कोई हिचक नहीं है जिसके विचारार्थ विषय इस तरह से तैयार किए गए हैं कि उसके निष्कर्ष की गारंटी दी जा सके। मुझे डर है कि यह पूरी तरह से छलावा है।” 

सरकारी अधिसूचना में कहा गया है कि समिति तुरंत काम करना शुरू करेगी और जल्द से जल्द सिफारिशें करेगी, लेकिन रिपोर्ट जमा करने के लिए कोई समय-सीमा निर्दिष्ट नहीं की गई। पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने के फैसले ने विपक्षी गुट इंडिया को आश्चर्यचकित कर दिया था और एक सितंबर को मुंबई में अपना सम्मेलन आयोजित किया था।

विपक्षी गठबंधन ने इस फैसले को देश के संघीय ढांचे के लिए ‘खतरा’ करार दिया था। समिति में लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष सी कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी भी सदस्य हैं। विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल समिति की बैठकों में विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल होंगे जबकि विधि सचिव नितेन चंद्रा समिति के सचिव होंगे।

समिति संविधान, जनप्रतिनिधित्व कानून और किसी भी अन्य कानून और नियमों में विशिष्ट संशोधनों की जांच और सिफारिश करेगी, जिसमें एक साथ चुनाव कराने के उद्देश्य से संशोधन की आवश्यकता होगी।

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