बेंगलूरु : जैनाचार्य विमलसागरसूरीश्वर एवं राजपुरोहित समाज के आराध्य एवं ब्रह्म सावित्री सिद्धपीठ के गादीपति संत तुलसारामजी महाराज का मंगलवार को आध्यात्मिक मिलन हुआ। चामराजपेट स्थित शीतल बुद्धि वीर वाटिका में चल रहे चल रहे चातुर्मासिक प्रवचन कार्यक्रम के दौरान दोनों संतों का मिलन हुआ। दोनों ने परस्पर धर्मचर्चा की एवं सनातन धर्म को सुदृढ करने की बात कही।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आचार्य विमलसागरसूरीश्वर ने कहा कि भारत देश की संस्कृति महान है। हमें अपने धर्म, संस्कृति व सभ्यता की रक्षा करनी चाहिए। आज के युग में धीरे-धीरे लोग अपनी संस्कृति व संस्कारों को भूल रहे हैं, जो भविष्य में बड़ा खतरा बन सकता है। हमें सबको संगठित होकर कार्य करना चाहिए। संगठन में शक्ति है। संगठित समाज से अपनी ताकत का अहसास होगा। उन्होंने कहा कि राजपुरोहित समाज भी समाज के आराध्य संत खेतेश्वर दाता एवं वर्तमान गादीपति संत तुलसारामजी महाराज के मार्गदर्शन में निरंतर आगे बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा कि राजपुरोहित समाज की गिनती हमेशा सभ्य समाज में की जाती रही है। इस समाज में पवित्रता बरकरार रही है। राजपुरोहित समाज की ओर से पूर्व प्रधान धुकाराम राजपुरोहित ने ब्रह्मधाम दर्शन हेतु सभी को आमंत्रित किया एवं ब्रह्मधाम में जैन संतों की सेवा की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हमारा समाज सभी के साथ घुलमिल कर आगे बढऩे वाला समाज है। इस अवसर पर राजपुरोहित समाज, जैन समाज सहित कई समाजों के लोगों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।

भजन संध्या में झूमे श्रद्धालु
राजपुरोहित समाज भवन, मैसूरु रोड में संत तुलसारामजी महाराज के सान्न्ध्यि में सोमवार रात्रि बाड़मेर बालोतरा राजपुरोहित युवा मंडल की ओर से एक शाम खेतेश्वर दाता के नाम भजन संध्या एवं गुरुदर्शन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में शिव गो भक्त मंडल के सदस्यों ने भजनों की प्रस्तुतियां दी। गायकों के प्रस्तुत खेतेश्वर दाता के भजनों पर देर रात श्रद्धालु झूमते रहे। जैसे ही भजन संध्या में ब्रह्मधाम गादिपति का प्रवेश हुआ पूरा परिसर संत खेेतेश्वर दाता के जयकारों से गुंजायमान हो गया। श्रद्धालुओं ने कतारबद्ध होकर दर्शन किए एवं आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर शैतान सिंह सियां, भीमसिंह दुदावत, मालसिंह पांचलोड़, चैनसिंह सोढ़ा, छगन सिंह लुहारिया, शंकरसिंह पांचलोड, जोगसिंह, जोधसिंह पांचालोड़ आदि मौजूद रहे।