
खरगोन में चित्तौड़गढ़-भुसावल स्टेट हाइवे पर दुर्भाग्यपूर्ण घटना तब घटी जब वे जिस बाइक पर सवार थे, उसके घूमते पहिए में मां का दुपट्टा चलती बाइक के पहिये में आ गया। झटके से मां-बेटी दूर फिंका गए। इस दौरान 4 साल की मासूम का हाथ पहिये में फंसकर कंधे से अलग हो गया। मौके पर चीख पुकार मच गई। खून से लथपथ बच्ची दर्द से कराहने लगी इस भयावह घटना के तत्काल बाद एक दिल दहला देने वाली चीख सुनाई दी, जिसने हवा को छेद दिया, क्योंकि युवा लड़की, जो अब अपने ही खून में भीगी हुई थी, असहनीय दर्द से कराहने लगी।
खरगोन जिला मुख्यालय से करीब 16 किलोमीटर दूर बिस्टान थाना इलाके की यह घटना है| घट्टी गांव के पास चित्तौड़गढ़ भुसावल स्टेट हाइवे पर बाइक सवार दंपती की 4 साल की बेटी के साथ यह हादसा हुआ|
दरअसल, एक प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले राकेश सोलंकी अपनी पत्नी सलिता और बेटी अंशिका उर्फ डोलू संग भगवानपुरा से खरगोन की ओर जा रहे थे| बाइक पर पीछे बैठी मां ने धूप से बचाने के लिए मासूम बेटी को अपने स्कार्फ से ढंक रखा था| इसी दौरान रास्ते में अचानक स्कार्फ बाइक के पिछले पहिए में जा फंसा| जब तक कोई कुछ समझ पाता, तब तक स्कार्फ के साथ बच्ची का हाथ भी पहिए में आ गया और उखड़कर कंधे से अलग हो गया|

पिता ने बाइक रोकी तब तक बच्ची लहूलुहान हो चुकी थी| देखते ही राहगीरों की भीड़ लग गई| किसी तरह बच्ची का हाथ बाइक के पहिए से निकाला गया| जिसने भी इस हृदय विदारक घटना को देखा उसकी आंखें भर आईं| बच्ची को तत्काल इंदौर रेफर किया गया| साथ ही एक थैले में उसका कटा हुआ हाथ भी अस्पताल ले जाया गया|
एक प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले राकेश सोलंकी की पत्नी सलिता ने चलती बाइक पर गोद में अपनी बेटी अंशिका को ले रखा था. धूप से बचाने के लिए बेटी को अपने स्कार्फ से ढंक दिया. रास्ते में अचानक बच्ची को ढंका स्कार्फ बाइक के पिछले पहिए में आ गया. स्कार्फ सहित बच्ची का हाथ भी पहिए में जा फंसा और कंधे से अलग हो गया|

5-6 घंटे के पहले ऑपरेशन से जुड़ सकता है हाथ
डॉ. निशांत महाजन ने मीडिया को बताया कि घटना या अन्य किसी कारण से शरीर का कोई अंग टूट जाता है, तो उसे पांच से छह घंटे के दौरान उचित ट्रीटमेंट और ऑपरेशन से उसे जोड़ा जा सकता है। इस अवधि के दौरान शरीर के अंग में ब्लड का सर्कुलेशन जारी रहता है। शरीर के टूटे हुए अंग को सुरक्षित रखना भी जरूरी होता है। अंशिका के भी कटे हुए हाथ को परिजन एक थैली में लेकर आए थे। जिसे अस्पताल से सुरक्षित बॉक्स में रखकर इंदौर भेजा गया है।