धर्म से ही धन की प्राप्ति होती है: मुनि श्रीराजपद्मसागरजी म.सा

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mahatvapoorna/ बेंगलुरू : जे.पी.पी श्रमणी भवन में श्रद्धा भाव से सुनने आए सभी श्रावक-श्राविकाओं को समझाते हुए मुनिश्री राजपद्मसागरजी म.सा कहा कि आचार्य हरिभद्रसूरीजी म .सा ने धर्मबिंदु ग्रंथ कहा कि धर्म करने से ही सब धर्मसामाग्री की प्राप्ति होती है इसलिए हमारा पूरा जीवन धर्ममय बनाना चाहिए । धर्म ही पुण्य का बंध होता है। धर्म की अनुमोदना करने से अच्छे कुल में जन्म मिलता है।

भरवाड के कुल में जन्म लेने वाला संगम छोटा सा बालक पंच महाव्रतधारी एसे “मासक्षमण के तपस्वी उस बालक संगमने साधु भगवंत को सुपात्रदान देकर, उस दानधर्म की अनुमोदना करने लगा। आज मेरा घर पावन बन गया और पवित्र भावों से साधु की अनुमोदना करने लगा। अनुमोदना करते करते वहां से मरकर राजगृहि नगरी में गोभद्र शेठ के है वहां पर उसका जन्म होता है और शालिभद्र बना इस लिए हमारे पुण्य को बढ़ाना हो तो “धर्म आराधना-पूजा-अर्चना करनी चाहिए।

मुनिश्री श्रमणपद्मसागरजी म.सा ने कहा कि परमात्मा की प्राप्ति करनी हो तो पंच परमेष्ठि भगवतों की भक्ति उनकी आराधना एवं धर्म की अनुमोदना से और हमारे अंदर रहे हुए अवगुण-दोष विगेरे दूर करके ऐसे परमपद देने वाले पंचपरमेष्ठि उनको याद कर हमारे दोषों को दूर करना है। दिनांक जुलाई मंगलवार से संघ में संतिकरं महातप शुरु होने जा रहा है।

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