संसद के विशेष सत्र के तीसरे दिन बुधवार को लोकसभा में महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन विधेयक) दो तिहाई से अधिक के बहुमत से पास हो गया। पर्ची से हुई वोटिंग में बिल के समर्थन में 454 और विरोध में सिर्फ दो वोट डले। दो तिहाई बहुमत के लिए सरकार को 304 वोटों की जरूरत थी। अब गुरुवार को यह बिल राज्यसभा में पेश होगा। वहां से पास होने के बाद राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए जाएगा। राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा। इससे पहले बिल पर चर्चा में 60 सांसदों ने अपने विचार रखे।
बहस का जवाब देते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि अगले साल लोकसभा चुनाव के बाद तुरंत ही जनगणना और डिलिमिटेशन होगा और महिलाएं की भागीदारी जल्द ही सदन में बढ़ेगी। विरोध करने से रिजर्वेशन जल्दी नहीं आएगा। इसके अलावा उन्होंने राहुल गांधी के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि देश को सेक्रेटरी नहीं सरकार चलाती है। कैबिनेट चलाती है। हमारी पार्टी के 85 सांसद ओबीसी समुदाय से आते हैं। 29 मंत्री भी इसी समुदाय के हैं। कांग्रेस अभी ओबीसी की बात कर केवल राजनीति चमकाना चाहती है।
गौर हो कि राहुल गांधी ने महिला आरक्षण बिल का समर्थन करते हुए इसमें ओबीसी महिलाओं के लिए भी कोटा निर्धारित करने की मांग की थी। उन्होंने सरकार पर ओबीसी समुदाय की अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार को चलाने वाले जो 90 सेक्रेटरी हैं, उनमें से तीन सिर्फ तीन ही ओबीसी से हैं। इसे जल्दी से जल्दी बदलिए। यह ओबीसी समाज का अपमान है। इससे पहले कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने सदन को बिल के बारे में बताते हुए बहस की शुरुआत की।
उनके बाद कांग्रेस की ओर से सोनिया गांधी ने जहां बिल से राजीव गांधी का सपना पूरा होने की बात कही, वहीं ओबीसी समुदाय को बिल में जगह देने और जातीय जनगणना जल्द पूर कर महिला आरक्षण जल्द से जल्द लागू करने की मांग रखी। चर्चा के दौरान टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने मुस्लिम महिलाओं को भी आरक्षण देने की मांग की। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने इस पर कहा किसंविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण वर्जित है। एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि सरकार बड़ा दिल करके बिल में एससी, एसटी और ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था करे। वहीं, सपा सांसद डिंपल यादव ने कहा कि बिल में ओबीसी और अल्पसंख्यक महिलाओं को भी आरक्षण दिया जाना चाहिए।