वक्फ बोर्ड पर मोदी सरकार की कैंची, अब नहीं हड़प पाएगा दूसरों की संपत्ति

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वक्फ बोर्ड पर मोदी सरकार की कैंची, अब नहीं हड़प पाएगा दूसरों की संपत्ति
वक्फ बोर्ड पर मोदी सरकार की कैंची, अब नहीं हड़प पाएगा दूसरों की संपत्ति

नई दिल्ली: केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड की संपत्तियों के अधिकारों में कटौती के लिए संशोधन बिल पेश करने की तैयारी में है। मोदी सरकार वक्फ बोर्ड की किसी भी संपत्ति को ‘वक्फ संपत्ति’ बनाने की शक्तियों पर अंकुश लगाना चाहती है। शुक्रवार शाम (2अगस्त) कैबिनेट ने वक्फ अधिनियम में करीब 40 संशोधनों को मंजूरी दे दी है।

इनमें वक्फ बोर्ड के अधिकार क्षेत्र की जांच करने के लिए संशोधन शामिल है, जिन्हें कई तरह से मनमाना माना जाता है, जो अब देश भर में लाखों करोड़ रुपये की संपत्तियों को नियंत्रित करता है।प्रस्तावित संशोधनों के अनुसार, वक्फ बोर्ड की ओर से किए गए संपत्तियों पर दावों का अनिवार्य रूप से सत्यापन का प्रस्ताव दिया जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक वक्फ अधिनियम में संशोधन करने वाला विधेयक अगले सप्ताह संसद में पेश किए जाने की संभावना है।

क्या होगा संशोधन का असर

जानकारों का मानना है कि इस संशोधन का सीधा असर उत्तर प्रदेश जैसे क्षेत्रों में होगा, जहां वक्फ बोर्ड काफी एक्टिव है और उसके पास जमीन भी बहुत है। 2013 में यूपीए सरकार ने मूल अधिनियम में संशोधन लाकर वक्फ बोर्ड को और अधिक शक्तियां दी थी। वक्फ बोर्ड के पास करीब 8.7 लाख संपत्तियां हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल करीब 9.4 लाख एकड़ है। वक्फ अधिनियम, 1995 को वक्फ की ओर से ‘औकाफ’ (वक्फ के रूप में दान की गई और अधिसूचित संपत्ति) को विनियमित करने के लिए अधिनियमित किया गया था। वह व्यक्ति जो मुस्लिम कानून के जरिए पवित्र, धार्मिक या धर्मार्थ के रूप में मान्यता प्राप्त किसी भी उद्देश्य के लिए संपत्ति समर्पित करता है।

क्यों पड़ी संशोधन की जरूरत

रिपोर्ट के मुताबिक, इस तरह के कानून की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि मुस्लिम बुद्धिजीवियों, महिलाओं और शिया तथा बोहरा जैसे अलग अलग संप्रदायों के कई लोग मौजूदा कानून में बदलाव की मांग कर रहे थे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संशोधन लाने की तैयारी 2024 के लोकसभा चुनावों से काफी पहले ही शुरू हो गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि ओमान, सऊदी अरब और अन्य इस्लामी देशों के कानूनों के प्रारंभिक अवलोकन(Initial Observations) से पता चलता है कि इनमें से किसी भी देश ने किसी एक यूनिट को इतने व्यापक अधिकार नहीं दिए हैं।

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