
जयपुर : देशभर में वक्फ (संसोधन) कानून को लेकर बवाल जारी है। पश्चिम बंगाल के कई जिलों में इस कानून को लेकर भड़की हिंसा में 3 लोगों की मौत हो गई। उधर, 16 अप्रैल को वक्फ (संसोधन) एक्ट की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई होनी है। इससे पहले, राजस्थान की भजनलाल सरकार ने वक्फ (संसोधन) कानून को लेकर बड़ा कदम उठाया है। राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दाखिल करके खुद को इन याचिकाओं में पक्षकार बनाने की अनुमति की मांग की है।
सरकार ने दिया ये तर्क
राज्य सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप आवेदन दायर किया गया है। उन्होंने सरकार की कानूनी सलाह लेकर विस्तार से हस्तक्षेप का प्रारूप तैयार किया और दाखिल किया। सरकार का कहना है कि वह वक्फ संपत्तियों के प्रशासन की प्रमुख कार्यकारी इकाई है और इस अधिनियम में किए गए सुधार पारदर्शिता, जवाबदेही और भूमि विवादों की रोकथाम के उद्देश्य से किए गए हैं।
90 दिन का सार्वजनिक नोटिस और आपत्ति प्रक्रिया
सरकार ने विशेष रूप से यह भी कहा है कि अधिनियम के जरिए किसी भूमि को वक्फ संपत्ति घोषित करने से पहले 90 दिन का सार्वजनिक नोटिस और आपत्ति की प्रक्रिया अनिवार्य की गई है, जिससे आमजन के अधिकार सुरक्षित रह सकें। राजस्थान सरकार ने यह तर्क भी दिया कि यह कानून धार्मिक स्वतंत्रता या समानता के अधिकारों का उल्लंघन नहीं करता, जैसा कि कुछ याचिकाओं जिनमें असदुद्दीन ओवैसी द्वारा दायर याचिका भी शामिल है, में दावा किया गया है।
विस्तृत हलफनामा दाखिल करने की अनुमति मांगी
राजस्थान सरकार ने यह भी अनुरोध किया है कि उसे विस्तृत हलफनामा दाखिल करने की अनुमति दी जाए, ताकि वह न्यायालय को तुलनात्मक कानूनी दृष्टिकोण, आंकड़ों और प्रशासनिक अनुभवों के आधार पर मदद कर सके। सरकार ने इसे एक पारदर्शी, संविधानसम्मत और संतुलित विधायी प्रयास बताया, जिसे संयुक्त संसदीय समिति ने 284 से अधिक हितधारकों की राय के बाद पारित किया।