मणिपुर में जमीन पर अभी भी तनाव की स्थिति बनी हुई है। पिछले साल शुरू हुई हिंसा अब कुछ हद तक कम जरूर हो गई है, लेकिन हालात को सामान्य होने में और समय जा सकता है। बड़ी बात है कि अब तो राज्य के मुख्यमंत्री और एन बीरेन सिंह को अपनों का ही विरोध झेलना पड़ रहा है, बीजेपी के 7 विधायकों ने ही सीएम बीरेन के खिलाफ जांच शुरू करने की बात कर दी है।
मणिपुर हिंसा: सीएम की क्यों बढ़ी मुश्किलें?
असल में मणिपुर में मैतेई बनाम कुकी समाज का संघर्ष चल रहा है। खुद मुख्यमंत्री मैतेई समुदाय से आते हैं, ऐसे में विपक्ष द्वारा लगातार उन पर आरोप लगा है कुकी समाज के खिलाफ जो हिंसा हुई है, उसे सीएम का समर्थन मिला। इसी वजह से कुल 10 विधायकों ने सीएम एन बीरेन सिंह की भूमिका को लेकर जांच की मांग की है, इसमें सात विधायक बीजेपी के भी शामिल हैं। अपने तर्कों को मजबूती देने के लिए विरोध करें विधायकों ने यहां तक कहा है कि गृहमंत्री अमित शाह खुद सीएम को फटकार लगा चुके हैं। जिस तरह से आम जनता के खिलाफ बम का इस्तेमाल हुआ, उस बात से शाह खासा नाराज थे।
मणिपुर हिंसा का इतिहास जानिए
वैसे जिस मणिपुर हिंसा की वजह से तनाव बढ़ा हुआ है, उसकी नींव समझना जरूरी है। असल में मणिपुर में तीन समुदाय सक्रिय हैं- इसमें दो पहाड़ों पर बसे हैं तो एक घाटी में रहता है। मैतेई हिंदू समुदाय है और 53 फीसदी के करीब उसकी आबादी है। इस समाज के ज्यादातर लोग घाटी में रहते हैं। वहीं दो और समुदाय हैं- नागा और कुकी, ये दोनों ही आदिवासी समाज से आते हैं और पहाड़ों में बसे हुए हैं।
हक की लड़ाई हिंसा तक आई
अब मणिपुर का एक कानून है, जो कहता है कि मैतेई समुदाय सिर्फ घाटी में रह सकते हैं और उन्हें पहाड़ी क्षेत्र में जमीन खरीदने का कोई अधिकार नहीं होगा। ये समुदाय चाहता जरूर है कि इसे अनुसूचित जाति का दर्जा मिले। कोर्ट ने इस पर विचार करने का फैसला भी किया, लेकिन उससे पहले ही हिंसा शुरू हो गई।
राज्य सरकार ने टेप को फर्जी बताया
इन विधायकों ने मारी मणिपुर टेप्स के नाम से एक ऑडियो टेप भी जारी किया है। दूसरी ओर राज्य सरकार ने 7 अगस्त को जारी किए गए टेप को फर्जी करार दिया है। राज्य सरकार का कहना है कि इस टेप के जरिए एक बार फिर अफवाह फैलाने का काम किया जा रहा है। राज्य सरकार ने कहा कि इस मामले में केस दर्ज कर लिया गया है। इस टेप का प्रसार करने में जुटे लोगों के खिलाफ अब कड़ी कार्रवाई की जाएगी।