Israel से दोस्ती तो भारत ने गाजा की मदद क्यों की? आखिर Narendra Modi के मन में क्या चल रहा ?

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Israel से दोस्ती तो भारत ने गाजा की मदद क्यों की? आखिर Narendra Modi के मन में क्या चल रहा ?
Israel से दोस्ती तो भारत ने गाजा की मदद क्यों की? आखिर Narendra Modi के मन में क्या चल रहा ?

नई दिल्ली: 

 इजरायल और हमास के बीच जारी जंग के बीच जरूरी सहायता की दो खेप गाजा पहुंच गई हैं। मानवीय सहायता सोमवार (23 अक्टूबर) को रफाह बॉर्डर के जरिए गाजा पहुंची। 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास के हमले के बाद यह पहला मौका है, जब फलस्तीनियों को मदद पहुंची है। 

इससे पहले इजरायल ने गाजा की भोजन, ईंधन और बिजली सिप्लाई में कटौती कर दी थी, जिसके चलते वहां, ईंधन, पानी, भोजन और दवाओं जैसे बुनियादी सामग्री की किल्लत हो गई थी। इस बीच संयुक्त राष्ट्र, भारत, सऊदी अरब और तुर्किए समेत कई देशों ने गाजा के लिए मानवीय सहायता भेजी है।

हमास के इजरायल में हमले के बाद पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने ट्वीट कर तुरंत इजरायल के समर्थन का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि इस मुसीबत के वक्त में पूरा भारत उसके साथ खड़ा है। हालांकि, पीएम के इस ट्वीट पर विवाद भी हुआ। लेकिन गाजा के अल अहली अस्पताल में नागरिकों की मौत की पीएम मोदी ने संवेदना भी जताई और तुरंत फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास से बात कर मौजूदा हालत पर चर्चा की। दरअसल, फिलिस्तीन और भारत की दोस्ती काफी पुरानी है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने साफ कहा कि वह संप्रभु एवं स्वतंत्र फिलिस्तीन के लिए अपने समर्थन में विश्वास करते हैं। यानी इस युद्ध के बीच भारत ने अपनी विदेश नीति का स्टैंड साफ कर दिया।

मुसीबत में दोस्त का साथ

भारत ने हमास और इजरायल के बीच चल रही जंग के बीच मानवीय संबंधों और कानूनों का हवाला देते हुए अपने पुराने दोस्त फिलिस्तीन को मदद भी भेज दी है। यही नहीं, भारत स्वतंत्र और संप्रभु फिलिस्तीन के समर्थन का भी ऐलान किया। पीएम मोदी ने फिलिस्तीनी राष्ट्रपति अब्बास से बातचीत के दौरान कहा कि भारत फिलिस्तीन को मानवीय सहायता देना लगातार जारी रखेगा।


मदद की इनसाइड स्टोरी

दरअसल, भारत यूएन रिलीफ एंड वर्क्स एजेंसी के जरिए भी फिलिस्तीन की मदद कर रहा था। लेकिन भारत ने फिलिस्तीन को निजी हैसियत से मेडिकल और आपदा मदद भेजी है। ये यूएन के जरिए की जा रही मदद के अलावा थी। गौरतलब है कि भारत यूएन सलाहकार आयोग का 2020 से ही सदस्य है। इसी के जरिए फिलिस्तीनी शरणार्थियों को यूएन मदद पहुंचाता है।

अधिकारियों ने बताया कि को भारत ने अपनी वार्षिक मदद बढ़ाकर 1.2 लाख डॉलर से बढ़ाकर 2018 में इसे 5 लाख डॉलर सलाना कर दिया था। 2002 से भारत ने UNRWA अबतक कुल 36.5 लाख डॉलर की मदद दी है।

भारत के बयान के मायने समझिए

फिलिस्तीन के अल-अहली अस्पताल में मारे गए लोगों पर भारत ने भी सख्त प्रतिक्रिया दी थी और पीएम मोदी इस हमले की जिम्मेदारी तय करने की बात कही थी। दरअसल, भारत अपने पुराने स्टैंड पर कायम करते हुए अरब देशों को भी संदेश देने की कोशिश की है। अरब देशों खासकर, सऊदी अरब और यूएई से भारत के रिश्तों में हाल के दिनों में जबरदस्त गरमाहट आई है। ऐसे में भारत ने संप्रभु फिलिस्तीन का समर्थन कर अपने बयान से अरब देशों को भी संदेश देने की कोशिश की है।

भारत खुद आतंकवाद से पीड़ित देश रहा है। ऐसे में हमास के हमले को वह भला कैसे सही ठहरा सकता था। इस हमले में 1400 से ज्यादा इजरायली नागरिक मारे गए हैं। ऐसे में इजरायल के समर्थन की पीएम मोदी वाले बयान को भी आतंकी हमले से ही जोड़कर देखा जाना चाहिए। भारत ने तो साफ कर दिया था कि वह सैकड़ों बेगुनाहों के मारे जाने से दुखी है। भारत ने साफ कहा था कि इस युद्ध में अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए। यानी एक बात से भारत ने पूरी दुनिया के संदेश दे दिया कि वह इस खूनी संघर्ष के खिलाफ है।

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