वक्फ संशोधन विधेयक की जांच के लिए गठित संयुक्त समिति में लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य होंगे

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वक्फ संशोधन विधेयक की जांच के लिए गठित संयुक्त समिति में लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य होंगे

केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन अधिनियम बिल 2024 के लिए आज जेपीसी के सदस्यों के नाम का ऐलान कर दिया। समिति में कुल 31 सदस्यों को शामिल किया गया है। इसमें लोकसभा से 21 सदस्य और राज्यसभा से 10 सदस्यों को शामिल किया गया है। इतना ही नहीं इसमें राज्यसभा से भी 10 सदस्यों को शामिल किया गया है। यह समिति अब वक्फ बिल पर मंथन करेगी और अगले संसद सत्र के पहले हफ्ते के आखिरी दिन तक सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।

संयुक्त संसदीय समिति में जिन लोकसभा सदस्यों को शामिल किया गया है। उनमें जगदंबिका पाल, निशिकांत दुबे, अरुण भारती, तेजस्वी सूर्या दिलीप सैकिया, गौरव गोगोई, इमरान मसूद, कृष्ण देवरयालु, मोहम्मद जावेद, कल्याण बनर्जी, ए राजा, दिलेश्वर कामैत, अरविंद सावंत, नरेश मस्के और एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी शामिल हैं।

जेपीसी में राज्यसभा से इन सदस्यों को किया गया शामिल

वहीं अब अगर बात जेपीसी में राज्यसभा के सदस्यों को शामिल करने की करें तो इसमें डॉ मेधा कुलकर्णी, मोहम्मद नदीम हक, गुलाम अली, डॉ राधा मोहन अग्रवाल, नासिर हुसैन, विजय साई रेड्डी, एम मोहम्मद अब्दुल्ला, संजय सिंह और डॉ वीरेंद्र हेज का नाम शामिल है।

विपक्ष ने किया था हंगामा

सरकार ने इस बिल को एक दिन पहले यानी कि 8 अगस्त को लोकसभा में पेश किया था। अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू ने जैसे ही बिल को सदन के पटल पर रखा तो विपक्षी दल के नेताओं ने हंगामा किया। साथ ही इस विधेयक को लेकर भारतीय जनता पार्टी के कुछ सहयोगियों ने भी सुझाव दिए थे। कांग्रेस के साथ-साथ इंडिया अलायंस के दलों ने भी इस बिल को मुस्लमान विरोधी बताया था और हंगामा किया था। इसके बाद सरकार ने इसे चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति को भेजने का फैसला किया था।

कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने इसे संघीय व्यवस्था पर हमला बताया था। वहीं एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने दावा किया कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 25 का उल्लंघन करता है। एनसीपी (SCP) सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि विधेयक को या तो वापस ले लिया जाना चाहिए या आगे की समीक्षा के लिए स्थायी समिति को भेजा जाना चाहिए। रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने चेतावनी दी कि अगर न्यायिक जांच की गई तो विधेयक को रद्द किया जा सकता है।

शीतकालीन सत्र में बिल के पेश होने की संभावना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में ऐसा पहली बार हुआ है कि जब किसी बिल को संयुक्त संसदीय समिति के पास में भेजा गया है। सरकार इस बिल को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश कर सकती है। ऐसा इसलिए है कि उस समय तक भारतीय जनता पार्टी की ताकत राज्यसभा में काफी बढ़ जाएगी। ऐसे में सरकार को बिल पास कराने में किसी भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। वक्फ बोर्ड बिल मे क्या है।

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